मऊगंज जिला, मध्य प्रदेश का 53वाँ जिला है। मऊगंज जिले का मुख्यालय मऊगंज में है, मऊगंज विभाजन से पहले रीवा जिले में अभी स्थित था। मऊगंज, नईगढ़ी, हनुमना और देवतालाब तहसीलों को मिलाकर मऊगंज जिला बनाया गया है। मऊगंज जिले में 2 विधानसभा क्षेत्र मऊगंज व देवतालाब हैं। तथा उपतहसील देवतालाब को तहसील बनाया जा सकता है। 15 अगस्त 2023 से दस्तावेजों में भी जिला मऊगंज अस्तित्व में आ गया है। मऊगंज जिले के प्रथम जिला दंडाधिकारी और कलेक्टर के तौर पर IAS अजय श्रीवास्तव की पदस्थापना की है. इसके पहले इसी दिन सोनिया मीना, भाप्रसे (2013) को कलेक्टर जिला मऊगंज के पद पर पदस्थ करने का आदेश जारी किया गया था। प्रथम पुलिस अधीक्षक के रूप में वीरेंद्र जैन को मऊगंज जिले की जिम्मेंदारी सौंपी गई है। इस जिले का गठन मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 (क्रमांक 20 सन 1959) की धारा 13 की उपधारा के तहत हुआ है।

पुरातत्विक धरोहर (जिला मऊगंज) संपादित करें

नवगठित जिला मऊगंज पूर्ण रूप से पुरातात्विक धरोहरों को सहेजे हुए हैं ।पूर्व में जडकुड पिपराही से लेकर पश्चिम में कोट ( कोदईया) तक उत्तर में चौराघाट से लेकर दक्षिण में देवतालाब तक अलग-अलग समय कल के पुरातात्विक धरोहर वा चिन्ह यहां मौजूद हैं । अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम लांसा में 11वीं 12वीं शताब्दी की मूर्तियां एवं कुछ शैल चित्र अंकित हैं, चौरा घाट के समीप 12वी 13वी सताब्दी की मूर्तियां , एक जीर्ण खंडहर निशान के तौर पर है, ग्राम भैंसहई में लगभग 2000 वर्ष पुराना बौद्ध स्तूप  कई शैलाश्रय शैलभित्ति चित्र युक्त हैं, बहुती और अष्टभुजी से निकली हुई दोनों नदियों के बीचों-बीच फैले हुए क्षेत्र में कई शैलाश्रय व शैलभित्ति चित्र युक्त हैं। बेलाघाट शिवराजपुर में शैलाश्रय व शैलभित्ति चित्र  मौजूद हैं। ग्राम कोट और खूझ में कई स्तूप आकृति के विशाल ढेर और कुछ पत्थर यह दर्शाते हैं कि यहां धातु शोधन भी कार्य होता था। इसके अतिरिक्त अष्टभुजी धाम, हटेश्वर नाथ मंदिर और देवतालाब मंदिर पुरातात्विक धरोहर के रूप में आम जनमानस के बीच पहले से ही प्रकाश में है। मेरा ऐसा मानना है कि अष्टभुजी धाम और बहुती प्रपात के बीच वाले हिस्से की खुदाई करने पर प्रागैतिहासिक काल की सभ्यता प्रकाश में लाई जा सकती है।

              इन समस्त तथ्यों का सम्यक अध्ययन करने पर यह ज्ञात होता है कि इस नवगठित जिले में पुरातत्विक धरोहरों से संबंधित कार्यों का विस्तार पूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है।

(कालगणना के आंकड़े पुरातत्व के विद्वानों के कथनानुसार अंकित किए गए हैं , जिस पर ए एस आई कानिरीक्षण वा निष्कर्षअभी बांकी है )

देवेन्द्र कुमार शुक्ला

आत्मज: योगेश्वर प्रसाद शुक्ला

सिगटी कला पो: बंधवा,नईगढ़ी