पाकिस्तान के साबरी बंधुओं के नाम से प्रसिद्ध कव्वाली गायकों में से एक जो अपने देश के अलावा भारत सहित विश्व के कई देशों में बेहद लोकप्रिय थे।

जीवन परिचय संपादित करें

साबरी बंधुओं का जन्म भारत में हुआ था। उनके पिता उस्ताद इनायत सेन साबरी संगीतकार थे। उनका परिवार 1947 में भारत विभाजन के बाद कराची में जाकर बस गया था। कव्वाली और उत्तर भारतीय शास्त्रीय संगीत की शिक्षा उन्हें अपने पिता से ही मिली थी। अंतिम समय में मकबूल मधुमेह और हृदय संबंधी परेशानियों से पीड़ित रहे। इसकी चिकित्सा के लिए वे दो महीने तक दक्षिण अफ्रीका में भी रहे। ६९ वर्ष की अवस्था में उनका २२ सितंबर २०११ बुधवार को दक्षिण अफ्रीका में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।

संगीत यात्रा संपादित करें

पाकिस्तान के अलावा भारत में भी बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक हैं। दमादम मस्त कलंदर.. और छाप तिलक सब छीनी.. साबरी बंधुओं की मशहूर कव्वालियों में शामिल हैं।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें