मक्सीम अल्बेर्तोविच अमेलिन
मक्सीम अल्बेर्ताविच अमेलिन कवि, अनुवादक, निबंधकार, पत्रकार तथा प्रकाशक हैं। उनका जन्म १९७० में कूर्स्क में हुआ। व्यावसायिक कॉलेज की शिक्षा समाप्त करने के उपरांत मक्सीम अमेलिन विश्व-प्रसिद्ध गोर्की साहित्य संस्थान के छात्र रहे। आजकल वे प्रकाशन व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। वे रूसी साहित्य की उस नई पीढ़ी के प्रतिनिधि हैं जो पिछली शताब्दी के अंतिम दशक के उत्तरार्ध में उभर कर सामने आई है।
मक्सीम अमेलिन की कविताएँ १९९५ में छपनी शुरू हुईं। 'ग्रानी' (सीमाएँ), 'नोवी मीर' (नई दुनिया), 'ज्नाम्या' (परचम), 'अक्त्याबर' (अक्टूबर), 'अरिओन' और 'लितरातूरनया गज्येता' (साहित्यिक गजट) आदि प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। उनके अब तक तीन कविता-संग्रह प्रकाशित हुए हैं और उन्होंने कविता व कवियों के बारे में बहुत से निबंध और लेख आदि लिखे हैं। उन्होंने लातिनी, प्राचीन यूनानी, अंग्रेज़ी और जार्जियाई भाषाओं के कवियों का रूसी भाषा में अनुवाद किया है। यही नहीं, उन्होंने अनेक कविता-संकलनों का संपादन भी किया है, जिनमें 'रेदियो कल्तूरा' (रेडियो संस्कृति) के लिए विश्व-कविता का रेडियो संकलन भी शामिल है।
चीन के 'जनसाहित्य प्रकाशन गृह' के लिए उन्होंने समकालीन रूसी कवियों का एक संकलन भी तैयार किया है। मक्सीम अमेलिन की कविताएँ अब तक अंग्रेज़ी, फ्रांसिसी, इतालवी, पुर्तगाली, जर्मन, पोलिश, हंगारी, लातवियाई, जार्जियाई, चीनी और वियतनामी भाषाओं में अनूदित हो चुकी हैं। उन्हें २००४ में कविता का प्रतिष्ठित पुरस्कार 'अंतालोगिया' मिला। इससे पहले भी वे अनेक पुरस्कार पा चुके हैं। सन २००३ में प्रकाशित उनके पिछले कविता-संग्रह का नाम था- 'दानवी गरगोना का घोड़ा'।