मतंग मुनि (५वीं शती) संगीतशास्त्री थे। उन्होंने बृहद्देशी नामक ग्रन्थ लिखा।

पाँचवीं शताब्दी के आसपास मतंग मुनि द्वारा रचित महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ ‘वृहददेशी’ से पता चलता है कि उस समय तक लोग रागों के बारे में जानने लगे थे। लोगों द्वारा गाये-बजाये जाने वाले रागों को मतंग मुनि ने 'देशी राग' कहा और देशी रागों के नियमों को समझाने हेतु ‘वृहद्देशी’ ग्रन्थ की रचना की। मतंग ही पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अच्छी तरह से सोच-विचार कर पाया कि चार या पाँच स्वरों से कम में राग बन ही नहीं सकता।

इन्हें भी देखें संपादित करें

  • [[बृहद्देशी]

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