मनकामेश्वर महादेव, पीलीभीत

आगरा में भगवान शिव का मंदिर


मनकामेश्वर महादेव, ठाकुर जी विराजमान मंदिर,ब्रह्मचारी घाट पीलीभीत (U.P)।

मनकामेश्वर महादेव-Mankameshwar Mahadev- मान्यता के अनुसार यहां पूजन-अर्चन से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। खकरा- देवह (देवःआहुति गंगा) नदीयों के पावन संगम के किनारे ब्रह्मचारी घाट पर भगवान कामेश्वर का प्राचीन तीर्थ है, जिन्हें शिव का पर्याय माना जाता है। जहां शिव होते हैं, वहां निश्चित रूप से मनकामेश्वरी अर्थात पार्वती का भी वास होता है। बोला जाता है ,जहां शिव है वहां शक्ति है| इसीलिए यहां भैरव, यक्ष, किन्नर आदि गण भी विराजते हैं।

सावन के दौरान यहां रोजाना विशेषकर सोमवार को श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। महंत श्री प्रेम कुमार मिश्रा की देखरेख में मंदिर को वर्तमान स्वरूप मिला है। परन्तु अभी यंहा बहुत कार्य होना शेष है भक्तो से सहयोग की अपेक्षा है।
मनकामेश्‍वर महादेव के नाम से ही इस बात का एहसास हो जाता है कि यहां मन मांगी मुराद कभी अधूरी नहीं रहती. जैसे ही भक्‍त इस मंदिर में प्रवेश करते हैं उन्‍हें शांति की अनुभूति होती है. लोग यहां आकर मनचाहे विवाह और संतानप्राप्ति की मनोकामना करते हैं और उसे पूरा होने पर बाबा का बेलपत्र, गंगाजल और दूध आदि से श्रृंगार करते हैं, हालांकि बाबा एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं। 
                
यंहा पर बाबा मनकामेश्वर को चांदी के छत्र, नागों का जोड़ा,त्रिशूल आदि चढ़ाने की परंपरा है चांदी के दान से मनकामेश्वर महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं ऐसा भक्तो का मत है। हालांकि बाबा एक लोटे जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं।

धनेश्वर महादेव-Dhaneshwar mahadev-

मंदिर के प्रांगण में ही धनेश्वर महादेव का मंदिर है जिसकी मान्यता नेपाल तक है। धनेश्वर महादेव अन्न दान से शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। धनेश्वर महादेव की कृपा से भक्तों को कभी धन की कमी नही होती है एवं अकस्मात धनप्राप्ति के योग बनते हैं।

शास्त्रों में कहा गया है कि हाथी का दान घोड़े के दान से श्रेष्ठ है। हाथी के दान से भूमि दान, भूमि के दान से तिलों का दान, तिलों के दान से स्वर्ण का दान तथा स्वर्ण के दान से अन्न का दान श्रेष्ठ है। अन्न दान के बराबर कोई दान नहीं है। अन्नदान से देवता, पितर और मनुष्य तीनों तृप्त हो जाते हैं। शास्त्रों में इसको कन्यादान के बराबर माना है।

महादेव के इन दो रूपों धनेश्वर और मनकामेश्वर महादेव के चमत्कार को उनके दरबार में आने के बाद ही महसूस किया जा सकता है. एक तरफ जहां भक्त यहां आकर महादेव के अनोखे रूप के दर्शन कर धन्य हो जाते हैं, वहीं भक्तों का मानना है कि यहां आने से न केवल उन्हें शांति मिलती है बल्कि भोले भंडारी सुखी जीवन का वरदान भी देते हैं.

रोहिणी माता स्थापना-Rohini mata sthapana-

मंदिर में ही माँ रोहिणी देवी की भी स्थापना है जिसे कश्मीर के एक अग्रवाल दंपत्ति ने स्थापित किया है। रोहिणी माता ने उनके स्वप्न में आकर यह आदेश दिया कि उनकी स्थापना इस मंदिर में करें। जिसका पालन उस दंपत्ति ने किया आश्चर्य इस बात का है कि इस से पहले वो कभी यंहा नही आये थे और ना ही इस मंदिर के बारे में सुना था।इसे माता रानी का चमत्कार ही कहा जा सकता है। मंदिर में स्थित पीपल देववृक्ष के समीप ही माता रानी के चरणों की स्थापना की गई है।

संकटमोचन हनुमान मंदिर-Hanuman mandir संकटमोचन हनुमान मंदिर,पीलीभीत।

यंहा शिव जी के रुद्र अवतार संकटमोचन हनुमान जी का भी बहुत सुंदर और सिद्ध मंदिर है जंहा मंगलवार ओर शानिवार को बड़ी संख्या में भक्त बजरंग बली की पूजा अर्चना करने आते हैं। कलयुग में वीर हनुमान ही एकमात्र ऐसे देवता है जो जीवंत रूप में पृथ्वी पर वास करते है। इनकी उपासना अतिशीघ्र फल देने वाली मानी गई है।

हनुमानजी का दिन मंगलवार और शनिवार है महाबली हनुमान पीपल की पूजा करने से भी बहुत जल्‍दी वरदान देते हैं एवं भक्तो की कुंडली मे शनि दोष से होने वाली परेशानियों को दूर करते हैं। पीपल को श्री हरि विष्णु का वास माना गया है। लेकिन अगर आप अपनी मनोकामनाएं जल्‍द ही पूरा करना चाहते हैं तो पीपल की पूजा करके या हर मंगल और शनिवार को पीपल के नीचे हनुमान चालीसा का पाठ करके हनुमानजी को प्रसन्‍न कर सकते हैं. हनुमानजी की कृपा से उनके भक्तों के सभी दुख दूर हो जाते हैं. पैसों से जुड़ी समस्याएं, गंभीर रोग,भूत प्रेत बाधा और कुंडली दोष भी इनकी कृपा से नष्‍ट हो जाते हैं

बरगद एवं पीपल देव- मनकामेश्वर महादेव मंदिर में हिन्दू धर्म मे अतिपावन एवं पूजनीय माने जाने वाले दोनों वृक्ष पीपल एवं वट वृक्ष भी मौजूद हैं।

प्राचीन कुआँ- मंदिर में एक प्राचीन कुआँ भी है जिसके जल से महादेव का अभिषेक किया जाना अतिउत्तम माना गया है। परंतु वर्तमान में इसे रखरखाव के अभाव में ढांक दिया गया है।

हमारे हिन्दू धर्म में हर रस्म के पीछे कोई न कोई धर्मिक तथा सांस्कृतिक महत्व छुपा होता है माना जाता है की जल ही जीवन है शायद इसलिए किसी भी शुभ कार्य में कुआँ पूजा को बहुत शुभ माना जाता है शादी ब्याह हो या घर में बच्चे का जन्‍म इन सब अवसरों पर कुआँ पूजन शुभ माना जाता है इस रस्म को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है यह रस्म कई मोकों पर की जाती है जैसे शादी ब्याह या घर में बच्चे के जन्म के समय कुआँ पूजन किया जाता है।

सावन,कार्तिक पूर्णिमा,महाशिवरात्रि,गंगा स्नान और कजरी तीज के मौके पर मंदिर में लगने वाले मेलो में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है।