मनोभ्रंश रोग
मनोभ्रंश (डिमेंशिया) से ग्रस्त व्यक्ति की याददाशत भी कमज़ोर हो जाती है। वे अपने दैनिक कार्य ठीक से नहीं कर पाते। कभी-कभी वे यह भी भूल जाते हैं कि वे किस शहर में हैं, या कौनसा साल या महीना चल रहा है। बोलते हुए उन्हें सही शब्द नहीं सूझता। उनका व्यवहार बदला बदला सा लगता है और व्यक्तित्व में भी फ़र्क आ सकता है।
मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) दिमाग की क्षमता का निरंतर कम होना है। यह दिमाग की बनावट में शारीरिक बदलावों के परिणामस्वरूप होता है। ये बदलाव स्मृति, सोच, आचरण तथा मनोभाव को प्रभावित करते हैं। एलसायमर रोग मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की सबसे सामान्य किस्म है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) की अन्य किस्में हैं- नाड़ी संबंधी डिमेंशिया, लुई बाड़िस वाला डिमेंशिया तथा फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया शामिल हैं।
वास्त्व में मनोभ्रंश किसी विशेष बीमारी का नाम नहीं, बल्कि के लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं। “Dementia” शब्द “de” (without) और “mentia” (mind) को जोड़ कर बनाया गया है।
ये सब मनोभ्रंश नहीं हैं
संपादित करेंयह समझना बहुत ज़रूरी है कि मनोभ्रंश मंदबुद्धि (mental retardation) नहीं है। यह सन्निपात, उन्माद या संकल्प प्रलाप (delirium) नहीं है। यह पागलपन (insanity) नहीं है। यह अम्नीसिया (स्मृतिलोप, स्मृतिभ्रंश, amnesia) नहीं है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) उम्रवृद्धि प्रक्रिया का साधारण भाग नहीं है।
कारण
संपादित करेंहमें अब तक यथार्थत: यह पता नहीं है कि मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) किस कारण होता है। किसी एक अकेले कारण को एलसायमर रोग के लिए कारण के रूप में बतलाया नहीं गया है। यह संभव है कि आयु, आनुवांशिक विरासत और परिस्थितियों को शामिल कर संसर्ग कारक इसके लिए जिम्मेवार हैं। नाड़ी संबंधी डिमेंशिया दिमाग के लिए आपूर्ति करने वाली रक्त नसों को क्षति पहुंचने से होता है। धूम्रपान करने या उच्च रक्तचाप वाले लोगों में, रक्त में चर्बी की बहुत मात्रा होने वाले लोगों में या मधुमेह रोग से ग्रस्त लोगों में नाड़ी संबंधी डिमेंशिया विकसित होने का खतरा होता है। लुई बाड़िस वाले डिमेंशिया और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया के कारण वर्तमान में अविदित हैं।
मनोभ्रंश रोग किसे होता है?
संपादित करेंसभी जातीय वर्गों के लोगों तथा ह र प्रकार की बौद्धि क्षमता वाले लोगों को मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) हो सकता है। हालांकि यह 65 की आयु से अधिक वाले लोगों में ज्यादा सामान्य है, यह 45 वर्ष या उससे अधिक आयु वाले लोगों को भी प्रभावित कर सकता है।
लक्षण
संपादित करेंमनोभ्रंश के लक्षण कई रोगों के कारण पैदा हो सकते है क्योंकि ये सभी रोग मस्तिष्क की हानि करते हैं और क्योंकि हम अपने सब कामों के लिए अपने मस्तिष्क पर निर्भर हैं। साल दर साल मनोभ्रंश से ग्रस्त व्यक्ति की स्थिति अधिक खराब होती जाती है और बाद की अवस्था में उन्हें साधारण से साधारण काम में भी दिक्कत होने लगती है, जैसे कि चल पाना, बात करना, या खाना ठीक से चबाना और निगलना और वे छोटी से छोटी चीज़ के लिए भी निर्भर हो जाते हैं। वे बिस्तर पर पड़ जाते है और उनका अंतिम समय आ जाता है।
जब व्यक्ति में लक्षण नज़र आने शुरू होते हैं तो आस-पास के लोग–परिवार-वाले, दोस्त और प्रियजन, सहकर्मी, पडोसी–यह समझ नहीं पाते कि व्यक्ति इस अजीब तरह से क्यों पेश आ रहा है। कभी व्यक्ति परेशान या भुलक्कड लगता है, तो कभी सहमा हुआ, तो कभी झुन्झुलाया हुआ या बेकार गुस्सा करता हुआ। परिवार वाले इन लक्षणों को सामान्य बुढ़ापा समझ कर नज़र-अंदाज़ करने की कोशिश करते हैं, पर मनोभ्रंश का होना उम्र बढ़ने का सामान्य अंग नहीं है। मनोभ्रंश के लक्षण बीमारी के कारण उत्पन्न होते है।
नीचे दी हुई सूची एक संकेतक सूची है। मनोभ्रंश से प्रभावित व्यक्ति में, रोग के बढते साथ ज्यादा और अधिक गंभीर लक्षण नज़र आते हैं। (याद रखें कि हर व्यक्ति में अलग अलग लक्षण नज़र आते हैं। एक व्यक्ति में यह सब लक्षण हों, यह ज़रूरी नहीं और यह भी ज़रूरी नहीं कि यदि कोई ये लक्षण दिख रहे है तो उस व्यक्ति को मनोभ्रंश है–यह जांच तो डॉक्टर ही कर सकते हैं)
मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) प्रगतिशील है, जिसका अर्थ है कि लक्षण धीरे-धीरे और बुरे होते जायेंगे, परंतु यह अलग-अलग व्यक्ति पर निर्भर करता है कि उसमें लक्षण कितनी जल्दी तथा कौन सी किस्मों में और बुरे होते जायेंगे। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) से ग्रस्त हर व्यक्ति भिन्न है।
सामान्य लक्षणों में निम्नलिखित लक्षण शामिल हैं:
- धीरे-धीरे स्मरण शक्ति का कम होना
- कथनों या प्रश्नों को दुहराना
- परिचित कार्यों को करने में कठिनाई
- पैसों का प्रबन्धन करने में कठिनाई
- पहल-शक्ति का कम होना
- निर्णय लेने की क्षमता में बिगाड़
- समय और स्थान का संभ्रम
- व्यक्तित्व में बदलाव
- स्वभाव या आचरण में बदलाव
- भाषा के साथ मुश्किलें
- गाड़ी चलाने की योग्यताओं में बिगाड़
- वस्तुओं को गलत जगह पर रखना
धीरे-धीरे, दिमाग के अधिकांश प्रकार्य प्रभावित होते हैं। अंत में, मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) से ग्रस्त लोगों को वस्त्र बदलने, शौचालय जाने, नहाने तथा खाने जैसी दैनिक गतिविधियों में सहायता की जरूरत पड़ सकती है।
अन्य
संपादित करें- ज़रूरी चीज़ें भूल जाना, खासकर हाल में हुई घटनाएँ (जैसे, नाश्ता करा था या नहीं)
- पार्टी का आयोजन न कर पाना, छोटी छोटी समस्याओं को भी न सुलझा पाना
- साधारण, रोज-मर्रे के काम करने में दिक्कत महसूस करना
- गलत किस्म के कपडे पहनना, कपडे उलटे पहनना, साफ़-सुथरा न रह पाना
- यह भूल जाना कि तारीख क्या है, कौनसा महीना है, साल कौनसा है, व्यक्ति किस घर में हैं, किस शहर में हैं, किस देश में
- किसी वस्तु का चित्र देखकर यह न समझ पाना कि यह क्या है
- नंबर जोड़ने और घटाने में दिक्कत, गिनती करने में दिक्कत
- बोलते या लिखते हुए गलत शब्द का प्रयोग करना
- चीज़ों को गलत, अनुचित जगह पर रख छोडना (जैसे कि घडी को, या ऑफिस फाइल को फ्रिज में रख देना)
- कुछ काम शुरू करना, फिर भूल जाना कि क्या करना चाहते थे और बहुत कोशिश के बाद भी याद न कर पाना
- बड़ी रकम को फालतू की स्कीम में डाल देना, पैसे से सम्बंधित अजीब निर्णय लेना, लापरवाही या गैरजिम्मेदारी दिखाना
- अपने आप में गुमसुम रहना, मेल-झोल बंद कर देना, चुप्पी साधना
- छोटी-छोटी बात पर, या बिना कारण ही बौखला जाना, चिल्लाना, रोना, इत्यादि
- किसी बात को या प्रश्न को दोहराना, जिद्द करना, तर्क न समझ पाना
- बात बेबात लोगों पर शक करना
उपचार
संपादित करेंयदि आप अपने बारे में या अपने किसी जानने वाले के बारे में चिंतित हैं, तो आपको क्या करना चाहिए? यह आवश्यक है कि सीधे कोई निष्कर्ष ना निकालें। संभ्रम या बार-बार भूलते रहने का यह अर्थ नहीं है कि आपको या आपके किसी प्रिय को मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) है। कई अन्य उपचारयोग हालात जैसे कि संदूषण, दवाईयों के बुरे प्रभाव और विषाद ऐसी समस्याओं को उत्पन्न कर सकते हैं।
प्रथमत:
संपादित करेंअपने पारिवारिक चिकित्सक (जी पी) से संपर्क करें और अपनी चिंताओं पर विचार-विमर्श करें। सम्पूर्ण शारीरिक, तंत्रिका-विज्ञान संबंधी और सामाजिक जांच के लिए अनुरोध करें। अपनी निरीक्षण मुलाकात से पहले समस्याओं की सूची को लिखें और निरीक्षण मुलाकात के लिए अपने साथ किसी को ले जायें। आपका जी पी रोगनिदान को प्रमाणित करने में सहायता के लिए किसी विशेषज्ञ के लिए अनुरोध कर सकता/सकती है।
ऐसा कोई भी एकमात्र निश्चित परीक्षण नहीं है जो यह दर्शाये कि कोई मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) से ग्रस्त है। मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) का निदान केवल लक्ष्णों के अन्य संभव कारणों को अस्वीकार करने के द्वारा ही किया जा सकता है। इसलिए एक सम्पूर्ण चिकित्सा जांच आवश्यक है।
द्वितीयत:
संपादित करेंसमर्थन, सूचना एवं शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपनी स्थानीय एलजायर्स संस्था से संपर्क करें। हालांकि, मनोभ्रंश रोग (डिमेंशिया) के अधिकांश कारणों का कोई इलाज नहीं है, परंतु बहुत सी मदद उपलब्ध है। कुछ लोगों के लिए थोड़ी अवधि के लिए कुछ लक्ष्णों को कम करने हेतु दवाई उपलब्ध है। यह आवश्यक है कि आप आरम्भ में ही सहायता की तलाश करें।
मनोभ्रंश और स्मृतिलोप में अन्तर
संपादित करेंमनोभ्रंश एवं स्मृतिलोप दो अलग-अलग रोग हैं। इनके सामान्य लक्षण मिलते-जुलते हैं।
- स्मृतिलोप होने पर तथ्यों, सूचनाओं एवं व्यक्तिगत अनुभव से सम्बन्धित स्मृति (मेमोरी) बहुत कमजोर हो जाती है। 'स्ट्रोक', इन्सेफ्लाइटिस, ट्यूमर आदि के द्वारा मस्तिष्क के क्षतिग्रस्त होने से स्मृतिलोप का रोग होता है। इसे 'जैविक स्मृतिलोप' कहते हैं। अत्यन्त अधिक तनाव (stress) या मनोवैज्ञानिक टौमा के कारण जो स्मृतिलोप होता है उसे 'डिसोसिएटिव अम्नेसिया' कहते हैं। इसमें संज्ञानात्मक समस्याएँ नहीं होतीं जो मनोभ्रंश की दशा में होती हैं।
- किन्तु मनोभ्रंश कोई रोग नहीं है बल्कि मस्तिष्क के कार्य का ह्रास है, जैसे- संज्ञान (cognition), स्मृति, भाषा-क्षमता आदि। अलजाइमर रोग (Alzheimer's disease), लेवी बॉडी डिमेंशिया (Lewy body dementia), वस्क्युलर डिमेंशिया (vascular dementia) तथा फ्रॉन्टोटेम्पोरल डिमेंशिया (frontotemporal dementia) आदि इसके कुछ प्रकार हैं। ६० से भी अधिक तरह के मनोभ्रंश होते हैं। यद्यपि मनोभ्रंश ही दशा में स्मृतिक्षीणता (memory loss) होना आम बात है, किन्तु यह जरूरी नहीं है कि मनोभ्रंश की सभी दशाओं में स्मृतिक्षीणता हो ही। संज्ञानात्मक विकार हैं - भाषाई क्षमता में ह्रास, पढ़ने-लिखने की क्षमता का ह्रास, गणितीय क्षमता का ह्रास, चित्र बनाने की क्षमता का ह्रास, परिचित चीजों का उपयोग न कर पाना, खो जाना (रास्ता भूल जाना), परिचित चेहरों या चीजों को भी न पहचान पाना।
डिमेन्शिया यानी मतिभ्रम मस्तिष्क संबंधी बिमारी है। इसमें मस्तिष्क कोशिकाओं की मृत्यु होने लगती है। कोशिकाओं के इस तरह - नष्ट होने के कारणों की जानकारी अभी तक नहीं हो पाई है। इसलिए इस बिमारी का पूर्ण निदान भी अभी संभव नहीं हो सका है। हाँ कुछ उपायों और औषधियों द्वारा कोशिकाओं के नष्ट होने की प्रक्रिया को धीमा करने में अवश्य सफलता मिली है। सामान्यतः वृद्धावस्था के साथ संबद्ध यह बिमारी व्यक्ति को दिमाग़ी रूप से तबाह कर देती है। इस बीमारी से प्रभावित व्यक्ति बातें भूलने लगता है, उसका अपने शरीर पर से नियंत्रण कम हो जाता है और वो आम लोगों की तरह व्यवहार नहीं कर पाता.
विस्तार और तीव्रता
संपादित करेंभारत में अल्ज़ाइमर्स एंड रिलेटेड डिसऑर्डर्स सोसाइटी ऑफ़ इंडिया के नेशनल चेयरमैन डॉक्टर के जैकब रॉय का कहना है कि अभी भारत में 30 लाख से ज़्यादा लोग डिमेन्शिया और अल्ज़ाइमर्स से प्रभावित है। वर्ष 2025 तक ये संख्या बढ़कर 60 लाख तक पहुँच जाएगी।
लक्षण
संपादित करेंस्मरणशक्ति खोना फोन नम्बर\, लोगों के नाम भूलना अपाॅइंटमेंट\, दवाई लेने के समय को भूलना अभी हुई घटनाओं को भूल जाना \(बीती हुई बातें याद रह सकती हैं \) बार बार वही प्रश्न करना या उसी बात को दोहराना - वाक शक्ति खोना सही शब्द या सही कहावत या मुहावरे के उपयोग में कठिनाई पढ़ाई लिखाई नही कर पाना समय और दिशा ज्ञान खोना कन्फ्यूज़ हो जाना कि आज क्या तारीख है या हफ्ते का कौन सा दिन है भूल जाना कि वे कहाँ हैं और वह जगह किस लिये है गुम हो जाना और इधर उधर भटकना -गणना शक्ति खोना चीज़ें खरीदते समय जोड़\, बाकी न कर पाना पैसा सँभालने में मुश्किल होना - व्यक्तित्व और मूड में बदलाव
मतिक्षय और भुलक्कड़पन में अंतर
संपादित करेंभुलक्कड़पन ः जब कोई आपको उस चीज़ की याद दिलाता है जो आप भूल गये हैं तो आपको आसानी से याद आ जाती है। यह सभी को होता है। स्मरणशक्ति की परेशानियाँ ः अगर कोई याद भी दिलाता है तो भी आपको याद नहीं आता . डिमेन्शिया ः इस में स्मरणशक्ति की परेशानियाँ शामिल हैं\, लेकिन आपको अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे कि दिशा भूलना\, निर्णय शक्ति\ और सोचने की योग्यता को खोना
कारण
संपादित करेंडिमेन्शिया उन लोगों को ज़्यादा प्रभावित करती है, जिनकी उम्र 65 वर्ष से ज़्यादा होती है। मोटापा, कोलेस्टेरॉल और डायबिटीज़ और उम्र के कारण डिमेन्शिया का ख़तरा बढ़ जाता है। एक शोध के अनुसार इसके लिए निम्न अनुमानित कारण मुख्य रूप से उत्तरदायी हैं।
- अल्ज़ाइमर रोग \(३९ प्रतिशत\)
- खून की नाड़ी या दिल का रोग \(१४ प्रतिशत\)
- पार्किंसनस रोग \(८ प्रतिशत\)
- एक से अधिक कारण \(११ प्रतिशत\)
- शराब
- खराब आहार
- डिहाइड्रेशन
- दवाई\, विशेषतः यदि व्यक्ति कई तरह की ले रहा हो
- स्लीप एप्निया \(सोने में परेशानी\)
- मस्तिष्क में ट्यूमर
- डायबिटीज़
- डिप्रेशन
रोग बढ़ाने वाले कारक
संपादित करें- हाइ ब्लड प्रेशर
- डायबिटीज़
- सिगरेट
संभावित उपचार
संपादित करेंइसका उपचार बहुत कुछ इसके कारणों पर निर्भर है। प्रायः इसे पूर्णतः ठीक नहीं किया जा सकता है किंतु इसकी वृद्धि को दवाइयों के सहारे रोका जा सकता है।
बचाव के उपाय
संपादित करेंइस रोग के सही कारण की जानकारी न हो के कारण इससे बचाव के उपाय भी संभावित ही हैं। हाइ ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़, हाइ कोलेस्ट्रोल, दिल सम्बन्धी रोग, डिप्रेशन और थायरोइड डिसओर्डर के लिये दवाई खाइये और इसे नियंत्रण में रखिये
- सिगरेट मत पीजिये\, संतुलित भोजन करिये\ और नियमित व्यायाम कीजिये।
- अपने मस्तिष्क का प्रयोग कीजिये।
- दृष्टिकोण सकारात्मक रखिये
=== बचाव में कुछ सहायक वस्तुए ===
- हरी चाय
- सफ़ेद या लाल वाइन
- करी
- कच्ची मछली \(सूशी\)
- टमाटर
- बोर्ड गेम
- बीच की उंगली को मालिश करना
सुझाव
संपादित करेंडिमेंशिया के मरीज के आसपास के व्यक्तियों को कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
रोगी के साथ सामान्य वर्ताव
संपादित करें- ऐसा प्रश्न न पूछिये जिसका उत्तर उन्हें देना पड़े।
- अगर वे एक ही बात बार बार पूछें तो बेसब्र नहीं हो।
- उनका आदर करें, ध्यान रखें और उनके साथ प्रेम का बर्ताव करें।
- मुस्कुराएँ और बहस न करें।
सावधानी
संपादित करें- रोगी को घर से अकेले निकलने न दें।
- घर का दरवाज़ा बन्द (ताला लगा) कर रखें।
- दरवाज़े पर घंटी लगायें ताकि उसके खुलने की आपको जानकारी रहे।
- रोगी के पास नाम और पते वाला आइडेन्टिफिकेशन रहना सुनिश्चित करें। जैसे कि सेफ रिटर्न प्रोग्राम का ब्रेसलेट या माला।
शौचालय सम्बन्धी सुझाव
संपादित करेंअगर व्यक्ति को शौचालय जाने में मुश्किल हो रही हो तो-
- शौचालय के दरवाज़े पर बड़ा चिन्ह या फोटो लगायें जिससे वे उसे पहचान सकें।
- उन्हें हर दो घंटे पर शौचालय जाने के लिये प्रोत्साहित करें।
- उन्हें आरामदायक वस्त्र पहनायें।
- कैफीन एवं ऐसे अन्य पदार्थों को कम करें जिनके कारण शौच अधिक जाना पड़ता है।
खाने के बारे में सुझाव
संपादित करेंअगर खाना खिलाने में मुश्किल हो रही हो तो-
- खाना शान्त स्थान पर खायें, टी वी बंद कर दें।
- एक समय एक तरह का खाना ही दें।
- ऐसा खाना दें जो उँगलियों से खाया जा सकता हो।
- रोगी को गुस्सा आ जाए या वह खाना नहीं चाहता तो उसे मेज़ से ले जायें और कुछ देर बाद फिर खिलाने की कोशिश करें।
समय बताने और चीज़ें खोजने संबंधि सुझाव
संपादित करेंस्मरणशक्ति खोने की प्रारम्भिक अवस्था के लोगों के लिये-
- ऐसी घड़ी का प्रयोग करें जिसके नम्बर बड़े और पढ़ने में आसान हों।
- ड्राअर\, अलमारी\, कोठरी आदि पर चिन्ह या चित्र लगायें।
- चश्मे, चाभी आदि नित्य व्यवहार में आने वाली चीज़ें हमेशा एक ही स्थान पर रखें।
सोने के बारे में सुझाव
संपादित करेंजब व्यक्ति को सोने में परेशानी हो तो- व्यक्ति को दिन के समय व्ययाम करने के लिए प्रेरित करें।
- डॉक्टर से बात करें।
रात के समय की मुश्किलों के बारे में सुझाव
संपादित करेंअगर व्यक्ति रात को नहीं सो पाता है तो-
- गिरने और चोट से बचाने के लिये बत्ती जलाये रखें
- व्यक्ति को दिन के समय व्यस्त रखें जिससे वे रात के समय थके हों।
- शांत वातावरण रखें
बातचीत संबंधी सुझाव
संपादित करेंअगर व्यक्ति को बोलने सुनने में मुश्किल हो रहि है त-
- छोटे और सरल वाक्यों का प्रयोग करें।
- जो कहा हो ठीक उसी को दोहरायें।
- व्यक्ति को जवाब देने के लिये एक मिनट इन्तेज़ार करें।
- ज़ोर से नहीं बोलें।
- जब उनसे बात करें तो उन्हें छुयें।
- उन्हें आपसे बात करने के लिये प्रोत्साहित करें।
- व्यक्ति के काम को देखें।
गुस्से को सँभालने संबंधी सुझाव
संपादित करेंअगर व्यक्ति गुस्सा हो जाये तो-
- शान्त और कोमल आवाज़ में बोलें।
- व्यक्ति को दूसरे कमरे में कुछ और करने के लिये ले जायें।
- ऐसी अन्य स्थिति से दूर रहें जो व्यक्ति में क्रोध उत्पन्न करती है।
- याद रखें कि कुछ समय बीतने पर क्रोध स्वतः ही शान्त हो जायेगा।
मरीज की बेचैनी शांत करने संबंधी सुझाव
संपादित करेंजब व्यक्ति बेचैन या उत्तेजित हो-
- उनसे शान्ति का बर्ताव करें
- उनकी पसंद का संगीत बजायेँ या जानी पहचानी फोटो देखें।
- यह मालूम करने की कोशिश करें कि वे क्यों उत्तेजित हैं।
- व्यक्ति को सैर के लिये ले जायें या उन्हें कोई काम दे दें।
- डॉक्टर से दवाई के बारे में बात करें।
सुझाव अगर व्यक्ति आप पर आरोप लगाये
संपादित करेंमरीज का किसी पर चोरी या चोट लगाने का आरोप लगाना एक आम लक्षण है। ऐसे में-
- बहस नहीं करें।
- उन्हें खोयी वस्तु ढ़ूढ़ने में मदद करें।
- उनको अपने प्रेम का और साथ होने का भरोसा दें।=== परिवार को मदद ===
- सीखें कि स्मरणशक्ति की परेशानियाँ क्या हैं और उनके बारे में क्या किया जा सकता है
- परिवार के सदस्यों को मौका दें कि वे अपनी भावनाओं जैसे कि क्रोध\, दुःख\, निराशा\, गिल्ट को प्रकट कर सकें।
- ऐसे अन्य व्यक्तियों से बात करें जो ऐसे मरीजों की देखभाल कर रहे हैं।
- परिवार के रूप में उन चीज़ों को करें जो आपको आनद देती थीं।
- मरीज की देखभाल में परिवार के अन्य सदस्यों की मदद लें।
- अडल्ट डे सर्विसेज़ या होम केयर सर्विसेज़ का प्रयोग करें।
- किसी को दोष नहीं दे - ये किसी की गलती नहीं है।
- जब घर में व्यक्ति की देखभाल करना सम्भव नहीं है तो नर्सिंग होम के बारे में सोचें।
स्मरणशक्ति की परेशानियों वाले व्यक्ति की देखभाल करना आसान नहीं है। इसके लिये तपस्या और समर्पण चाहिये। यह परिवार के छुपे हुए गुणों और निपुणताओं को खोजने और बढ़ाने का मौका देता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करें- स्मृतिलोप (Amnesia)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- मनोभ्रंश केयर नोट्स - मनोभ्रंश और देखभाल संबंधी जानकारी, सुझाव, संसाधन और परिवारों के इंटरव्यू
- पढ़ने-पढ़ाने से दूर होता है स्मृतिलोप
- भूलने की आदत है मनोभ्रंश की निशानी (वेबदुनिया)
- बिना औषधि से भी ठीक हो सकता है मनोभ्रंश[मृत कड़ियाँ] (जोश)
- BBC Headroom: Living with Dementia
- The Dementia Centre - Information provided by PSS (Personal Services Society). Provides information and support to people with dementia, their carers, and health professionals.
- Alzheimer's Research Trust - What is dementia? - Information produced by the Alzheimer's Research Trust including statistics.
- Alzheimer's Society - About dementia - Information produced by the Alzheimer's Society including factsheets and support.
- The Dementia Services Development Centre, University of Stirling
- Dementia tutorial for U.K. practitioners by the Alzheimer's Society
- Understanding Dementia: a primer of diagnosis and management
- AlzOnline - AlzOnline provides education, information, and support to persons caring for someone with Alzheimer's disease or a related memory problem.
- Medicinenet
- Understand Pain and Dementia tutorial from the Occupational Therapy Department at the University of Alberta
- Concise Guidelines to Better Practice The Assessment of Pain in Older Person - British Pain Society (2007)
- मनोभ्रंश (The Royal College of Physicists)