मनोविश्लेषणवाद
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मनोविश्लेषणवाद क्या है
संपादित करेंManovishleshanvad Kya Hai
संपादित करेंमनोविश्लेषण शब्द अंग्रेजी के ‘साइको-एनलसिस’ (Psycho-analysis) शब्द का हिंदी पर्याय है । 19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में सिगमंड फ्रायड (Sigmund Freud, 1856-1939) द्वारा मानसिक रोगियों का इलाज करते हुए स्नायविक व मानसिक विकारों के संबंध में सुझाया गया सिद्धांत व व्यवहार मनोविश्लेषण कहलाता है। चिकित्सा की यह विधि जिन मूल सिद्धांतों पर आधारित है उन सिद्धांतों के स्पष्टीकरण, समर्थन, विरोध आदि के कारण फ्रायड के समय से लेकर अब तक मनोविश्लेषण ने इतनी प्रगति कर ली है कि आधुनिक युग कि कोई भी विचारधारा इसके प्रभाव से अछूती नहीं रह सकी ।
आधुनिक युग में जिस प्रकार राजनीति और आर्थिक व्यवस्था पर मार्क्सवाद का प्रभाव पड़ा है, उसी प्रकार कला, साहित्य और समाज पर मनोवैज्ञानिक खोजों तथा नये-नये मनोविश्लेषण सिद्धांतों का बड़ी गहराई से प्रभाव पड़ा है ।
साहित्य का संबंध मानव-मन से है । साहित्य जो विभिन्न चरित्रों का चित्रण करता है, वह किसी न किसी मनोवैज्ञानिक आधार पर होता है । साहित्यकार को उसका ज्ञान हो या न हो, पर उसके चित्रणों में मानव-मन के क्रिया-कलाप ही यथार्थ अथवा काल्पनिक रूप में प्रतिबिंबित होते हैं । चाहे कविता हो, चाहे कथा-साहित्य अथवा चित्रकला या मूर्तिकला, सभी मानव-मनःस्थितियों का ही चित्रण करती हैं।
आधुनिक विचार-जगत् में फ्रायड और मार्क्स ने भारी क्रांति की है और आधुनिक विचारधारा, जीवन-दृष्टि, नैतिक मान्यताओं आदि का इन दोनों ने जितना अधिक प्रभावित किया है उतना किसी अन्य ने नहीं । फ्रायड ने मनुष्य के अंतर्जगत का सूक्ष्म-गहन विश्लेषण किया है और मार्क्स ने मानव के बहिर्जगत का समग्रता में गहन-चिंतन । फ्रायड के चिंतन से प्रभावित होकर मनोविश्लेषणवादी आलोचना की नींव पड़ी जिसे फ्रायड के साथ-साथ एडलर और युंग ने अपने-अपने ढंग से आगे बढ़ाया।
मनोविश्लेषण शास्त्र के प्रर्वतक के रूप में फ्रायड प्रसिद्ध हुए । एडलर और जुंग शुरूवात में फ्रायड के शिष्य, अनुगामी और सहयोगी थे, किंतु आगे चलकर उनकी मान्यताएं फ्रायड से अलग हो गईं । फलतः उन्होंने अपनी मान्यताओं को स्वतंत्र सिद्धांतों का रूप दिया। इस भेद के कारण तीन नामों का प्रयोग किया गया –
(1) फ्रायड- मनोविश्लेषण (साइको-एनलसिस),
(2) एडलर- व्यष्टि मनोविज्ञान (इंडिविजुअल साइकॉलॉजी) तथा
(3) जुंग - विश्लेषण मनोविज्ञान (एनलिटिकल साइकॉलॉजी)।