मन्मथनाथ दत्त
मन्मथनाथ दत्त () संस्कृत एवं पालि के विद्वान, बांग्ला लेखक, इतिहासविद तथा प्राचीन भारतीय ग्रन्थों के अनुवादक थे। 'शास्त्री' की उपाधि मिलने के पश्चात वे 'मन्मथनाथ शास्त्री' नाम से जाने जाते हैं।
आज उनके जीवन के बारे में बहुत कम ज्ञात है। मन्मथनाथ दत्त ने एम ए तथा एम आर ए एस की शिक्षा पायी थी। कई वर्षों तक कोलकाता के केशव अकादमी के रेक्टर रहे। १८९५ से १९०५ के बीच वे श्रीरामपुर कॉलेज के रेक्टर रहे। वे भारत के महानतम अनुवादक कहे जा सकते हैं। उन्होने महाभारत का तीन खण्डों में अनुवाद किया और रामायण का पाँच खण्डों में। इसके अलावा उन्होने सायण के ऋग्वेद के भाष्य का अनुवाद किया। मार्कण्डेय पुराण, विष्णु पुराण, गरुड पुराण, भागवतम्, महानिर्वाणतन्त्र, मनु स्मृति, हरिवंशम्, पराशर संहिता, गौतमसंहिता, कामन्दकीय नीतिसार का भी अनुवाद किया। वे 'वेल्थ ऑफ इण्डिया' नामक एक मासिक पत्रिका भी निकालते थे।[1]
सन्दर्भ
संपादित करेंइन्हें भी देखें
संपादित करें- मन्मथनाथ गुप्त -- भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के महान क्रान्तिकारी
- मन्मथनाथ राय -- वामपन्थी विचारक
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- Genius who translated Indian epics
- मन्मथनाथ दत्त की रचनाएँ, विकिस्रोत पर
- Kamandakiya Nitisara; or, The Elements of polity, in English by Dutt, Manmatha Nath
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