मर्माणि नाम मांस शिरा श्नायु

मर्म मरयंती इति मर्माणि

आयुर्वेद में मर्म शरीर के वे बिंदु हैं हाँ प्राणों का वास होता है तथा जिनका रक्षण न करने पर मृत्यु अथवा विभिन्न प्रकार की मृत्यु तुल्य कष्टदायक शारीरिक व्याधि उत्पन्न होती है। अतः इन बिंदुओ को उपचारित करने से रोगों से मुक्ति भी संभव है। मर्म चिकित्सा आयुर्वेद में वर्णित विश्व की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धतियो में से एक है। मर्म चिकित्सा विशेषज्ञ डा0 श्री प्रकाश बरनवाल का कहना है कि

मर्म चिकित्सा ही एक्युप्रेसर, एक्यूपंचर जैसी विदेशी चिकित्सा विधाओ की जननी है। बौद्ध काल में ये चिकित्सा पद्धति भारत से चीन, जापान आदि देशों में ले जाई गयी तथा वहाँ विभिन्न नामों से विकसित हुई।

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