मलय
मलय का अर्थ होता है सफेद चन्दन का वृक्ष। मलय एक भाषा का भी नाम है।
शब्द एवं अर्थ-परिचय
संपादित करें'मलय' शब्द का सर्वाधिक प्रयोग 'मलय पर्वत' के अर्थ में होता है जोएक पर्वत शृंखला का नाम है, जहाँ चन्दन के वृक्ष बहुतायत से पाये जाते हैं।[1] इस पर्वत से संसर्ग के कारण चन्दन के वृक्ष का नाम भी 'मलय' के रूप में प्रसिद्ध हो गया है। रामचरितमानस में 'मलय' शब्द का दो स्थलों पर प्रयोग हुआ है। एक जगह 'मलय पर्वत' के अर्थ में[2] और दूसरी जगह चंदन के वृक्ष अथवा चंदन की लकड़ी के अर्थ में[3] । इसके अतिरिक्त मलय पर्वत शृंखला के आसपास का, विशेषतः पूर्वी क्षेत्र का प्रदेश, जो मलाबार के नाम से प्रसिद्ध है, उसका भी उल्लेख 'मलय' के नाम से मिलता है।[4]
'मलय' ऑस्ट्रिक परिवार की एक भाषा का भी नाम है। इसका क्षेत्र मलय प्रायद्वीप, सुमात्रा, बोर्नियो, जावा तथा इसके आसपास के द्वीप हैं। भाषाविज्ञान में इसे 'इंडोनेशियन परिवार' में भी रखा गया है।[5]
उदाहरण
संपादित करें- काटइ परसु मलय सुनु भाई। निज गुन देइ सुगंध बसाई।। (रामचरितमानस - उत्तरकाण्ड)
- मलय समीर सोहावन छाया। जेठ जाड़ लागे तेहि माहां।। (मलिक मोहम्मद जायसी)
- वह मलय भाषी जनता है।
- कहता दिगंत से मलय पवन, प्राची की लाज भरी चितवन (जयशंकर प्रसाद)
- सत्य और सुंदरता के अविरल संघों से— स्याम, ब्रह्म, जापान, चीन, गांधार, मलय तक, (गिरिजाकुमार माथुर)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ संस्कृत-हिन्दी कोश, वामन शिवराम आप्टे, चौखम्भा संस्कृत भवन, वाराणसी, संस्करण-२०१२, पृष्ठ-७८०.
- ↑ रामचरितमानस, बालकाण्ड, दोहा सं.१० (क); द्रष्टव्य- मानस पीयूष, खण्ड-१, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण- संवत् २०६५, पृष्ठ-२०७.
- ↑ रामचरितमानस, उत्तरकाण्ड-३७-८; द्रष्टव्य- मानस पीयूष, खण्ड-७, गीताप्रेस गोरखपुर, संस्करण- संवत् २०६५, पृष्ठ-२३५.
- ↑ बृहत् हिन्दी कोश, ज्ञानमण्डल लिमिटेड, वाराणसी, संस्करण-२०१०, पृष्ठ-८७५.
- ↑ भाषा विज्ञान कोश, डॉ॰ भोलानाथ तिवारी ज्ञानमंडल लिमिटेड, वाराणसी, प्रथम संस्करण- संवत्-२०२०, पृष्ठ-५०७.