मल्लयुद्ध
मल्लयुद्ध भारत का एक पारम्परिक युद्धकला है।[1] भारत के अतिरिक्त यह पाकिस्तान, बांग्लादेश तथा श्रीलंका में भी प्रचलित थी। यह दक्षिणपूर्वी एशियाई कुश्ती की शैलियों जैसे नाबन से निकट संबंधी है।
अन्य नाम | मलयुद्धम |
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फोकस | Grappling |
Hardness | फुल काँटैक्ट |
मूल देश | भारत |
Parenthood | ऐतिहासिक |
ओलम्पिक खेल | नहीं |
मल्लयुद्ध चार प्रकारों में विभाजित है जिनमें से प्रत्येक एक हिन्दू देवता या पौराणिक योद्धा के नाम पर है:- हनुमन्ती तकनीकी श्रेष्ठता पर केन्द्रित है, जाम्बुवन्ती प्रतिद्वन्दी को आत्मसर्मपण के लिये मजबूर करने हेतु लॉक्स तथा होल्डस का प्रयोग करती है, जरासन्धी अंगों तथा जोड़ों को तोड़ने पर केन्द्रित है जबकि भीमसेनी विशुद्ध रूप से ताकत पर केन्द्रित है।[2]
यह कुस्ती का प्राचीन रूप है। इसके दो प्रमुख प्रकार हैं धरनीपट्ट एबं आसुरा। धरनीपट्ट में हार-जीत का निश्चय विपक्षी को धरती पर पीठ के बल गिराना होता है। भीमसेनी तथा हनुमन्ती इसी तरह की उदहारण है। आसरा, मुक्त युद्ध है इसमे विपक्षी चोट पहुचाई जा सकती है लेकिन मृत्यु नहीं होनी चाहिए।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Alter, Joseph S. (1992a). "the sannyasi and the Indian wrestler: the anatomy of a relationship". American Ethnologist. 19 (2): 317–336. डीओआइ:10.1525/ae.1992.19.2.02a00070. ISSN 0094-0496. नामालूम प्राचल
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की उपेक्षा की गयी (मदद) - ↑ Tracing the journey of the martial art forms of India Archived 2016-03-04 at the वेबैक मशीन, Global Adjustments magazine, September 2007.[अविश्वनीय स्रोत?]
- Donn F. Draeger and Robert W. Smith (1965). Comprehensive Asian Fighting Arts. Kodansha International.
- Martial arts of India by R. Venkatachalam (1999)