मस्तिष्कशोथ या मस्तिष्क ज्वर या इन्सेफ्लाइटिस रोग (encephalitis) विषाणु के प्रकोप से होता है। इसमें मस्तिष्क में अत्यधिक सूजन आ जाती है।

HSV मस्तिष्कशोथ से ग्रसित किसी रोगी के मस्तिष्क का MRI स्कैन। इसमें टेम्पोरल लोब्स में तथा दाहिने-निचले-सामने-के गाइरस में उच्च सिगनल दिख रहे हैं।

लक्षण संपादित करें

मस्तिष्कशोथ के लक्षण अस्पष्ट होते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इससे दिमाग में ज्वर, सिरदर्द, ऐंठन, उल्टी और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। रोगी का शरीर निर्बल हो जाता है। वह प्रकाश से डरता है। कुछ रोगियों (बहुत कम) के गर्दन में जकड़न आ जाती है। डॉक्टरों के मुताबिक यहां तक कि रोगी लकवा के भी शिकार हो जाते हैं। ये सभी लक्षण मस्तिष्क की सुरक्षा प्रणाली के क्रियाशील (ऐक्टिव) होने के कारण प्रकट होते हैं क्योंकि सुरक्षा प्रणाली संक्रमण से मुक्ति पाने के लिये क्रियाशील हो जाती है।

रोग के कारक संपादित करें

 
सन २०१२ में मस्तिष्कशोथ से मरने वालों की संख्या-घनत्व (प्रति १० लाख जनसंख्या पर)
██ 0-0██ 1-1██ 2-2██ 3-4██ 5-9██ 10-14██ 15-24██ 25-45

यह रोग एक प्रकार के विषाणु (वायरस) से होता है। यह विषाणु इतने सूक्ष्म होत हैं कि साधारण सूक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप) से भी नहीं देखे जा सकते हैं। इस रोग का वाहक मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो विषाणु उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं और लगभग ४ दिन से चौदह दिन के अन्दर उस व्यक्ति में इस रोग के लक्षण दिखने लगते हैं।

रोकथाम संपादित करें

मच्छरों से बचाव व टीकाकरण ही इस बीमारी से बचने का उपाय है। इसका टीका काफी प्रभावी है और इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें