जानपदिक जलशोफ
जानपदिक जलशोफ (Epidemic dropsy), जलशोफ का प्रचण्ड रूप है। यह सत्यानाशी के तेल आदि से उत्पन्न विषाक्तता के कारण उत्पन्न होता है।[1][2] प्रायः सरसों आदि में सत्यानाशी के बीज मिले हों और उससे तेल निकालकर सेवन किया जाय तो जानपदिक जलशोफ उत्पन्न होता है।
जानपदिक जलशोफ (Epidemic Dropsy) | |
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Epidemic dropsy patients with the characteristic bilateral pitting edema of the extremities (indicated by arrows) | |
विशेषज्ञता क्षेत्र | आकस्मिक चिकित्सा |
1877 ई. में सर्वप्रथम कलकत्ते में इसका उत्पात हुआ था, इसके पश्चात् अन्य स्थानों में यह फैला। सत्यानाशी (Argemone mexicana) के तेल का सेवन इसका प्रधान कारण और चावल का सेवन इसका सहायक कारण है। सत्यानाशी के तेल की सरसों के तेल के साथ मिलावट की जाती है और इस मिलावटी सरसों के तेल के सेवन से जलशोफ की महामारी उत्पन्न होती है। इसमें सर्वप्रथम पैरों पर जलशोथ दिखाई देता है, जो रोग बढ़ने पर ऊपर फैलता है, किन्तु चेहरा प्रायH बच जाता है। शोथ के अतिरिक्त, ज्वर, जठरांत्रशोथ (Gastro-enteritis), शरीर में दर्द, त्वचा में सुई चुभने की सी पीड़ा तथा जलन, विविध स्फुटन इत्यादि लक्षण होते हैं। मृत्यु प्रायः हृदय या श्ववसन के उपद्रवों से अचानक होती है।