महारत्नकूट सूत्र
महारत्नकूट सूत्र ( संस्कृत ; पारम्परिक चीनी भाषा में : ) बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय के सूत्रों का एक प्राचीन संग्रह ग्रन्थ है। 'महारत्नकूट' का शाब्दिक अर्थ है, "रत्नों का ढेर"।
महारत्नकूट सूत्र में अलग-अलग आकार के 49 ग्रंथ समाहित हैं। इस ग्रन्थ में श्रीमालादेवी सिंहनाद सूत्र, दीर्घ सुखावती-व्यूह सूत्र, अक्षोभ्य-व्यूह सूत्र, बोधिसत्वपिटक नामक एक विशाल ग्रन्थ तथा अन्य ग्रन्थ सम्मिलित हैं। [1] इस ग्रंथ का एक भाग चीन लाया गया और ८वीं शताब्दी में बोधिरुचि ने इसका अनुवाद किया। [2] बोधिरुचि ने कुछ ग्रंथों का अनुवाद किया, और अन्य ग्रन्थों को भी इसमें शामिल किया जिनका पहले अनुवाद किया जा चुका था। ध्यान रहे कि ये बोधिरुचि एक अन्य बोधिरुचि से अलग हैं जिन्होंने दशभूमिका सूत्र पर टीका का अनुवादक किया है।
रत्नकूट संग्रह में कुल 49 महायान सूत्र हैं। इसके चीनी अनुवाद में 120 भाग हैं।[3]
सूत्रों की सूची
संपादित करेंइस ग्रन्थ में समाहित 49 सूत्र ये हैं- [4]
- त्रिसंवर-निर्देश
- अनन्तमुख-परिशोधन-निर्देश
- तथागतचिन्त्य-गुह्य-निर्देश
- स्वप्न-निर्देश
- सुखावती-व्यूह
- अक्षोभ्य-तथागतस्य-व्यूह
- वर्म-व्यूह-निर्देश
- धर्मधातु-प्रकृति-असंभेद-निर्देश
- दशधर्मक
- समन्तमुख-परिवार्ता
- रश्मिसमन्तमुक्त-निर्देश
- बोधिसत्व-पिटक
- आयुष्मान-नन्द-गर्भावक्रान्ति-निर्देश
- नन्द-गर्भावक्रान्ति-निर्देश
- मंजुश्री-बुद्धक्षेत्र-गुण-व्यूह
- पितापुत्रसमागमन
- पूर्ण-परिपृच्छा
- राष्ट्रपाल-परिपृच्छा
- गृहपति-उग्र-परिपृच्छा
- विद्युत्प्राप्त-परिपृच्छा
- भद्रमायाकार-व्याकरण
- महा-प्रातिहार्य-निर्देश
- मैत्रेय-महासिंहनाद
- उपालि-परिपृच्छा
- अध्याशाय-संचोदन
- सुबाहु-परिपृच्छा
- सुरत-परिपृच्छा
- वीरदत्त-गृहपति-परिपृच्छा
- उदयनवत्सराज-परिपृच्छा
- सुमतिदारिका-परिपृच्छा
- गंगोत्तर-परिपृच्छा
- अशोकदत्तव्याकरण
- विमलदत्त-परिपृच्छा
- गुणरत्नसंकुसुमित-परिपृच्छा
- अचिन्त्यबुद्धविषय-निर्देश
- सुस्थितमति-देवपुत्र-परिपृच्छा
- सिंह-परिप्रच्छा
- उपायकौशल्य-ज्ञानोत्तर-बोधिसत्व-परिपृच्छा
- भद्रपाल-श्रेष्ठि-परिपृच्छा
- दारिका-विमलशुद्ध-परिपृच्छा
- मैत्रेय-परिपृच्छा-धर्माष्टक
- मैत्रेय-परिपृच्छा
- काश्यप-परिवार्ता
- रत्नराशि
- अक्षयमति-परिपृच्छा
- सप्तशतिका-नाम-प्रज्ञापारमिता
- रत्नचूड-परिपृच्छा
- श्रीमाला-देवी-सिंहनाद
- ऋषिव्यास-परिपृच्छा
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Sangharakshita. The Eternal Legacy: An Introduction to the Canonical Literature of Buddhism. 2006. p. 168-169
- ↑ Pederson, K. Priscilla (1980). "Notes on the Ratnakūṭa Collection"
- ↑ "The Korean Buddhist Canon: A Descriptive Catalog (T 310)".
- ↑ "OpenPhilology | Texts". OpenPhilology (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-12-24.