निषाद राज सतयुग में एक कच्छप रूप में थे। बाद में इन्हीं का "पृथ्वी लोक पर निषादराज के रूप में जन्म हुआ। और इन्हें श्रृंगवेरपुर में निषादराज होने का गौरव मिला।