महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़

विश्व के प्राचीनतम राजवंश मेवाड़ के युवराज एवं वीरशिरोमणि ,राष्ट्रनायक महाराणा प्रताप के वंशज महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़ का जन्म 18 मई 1967 को हुआ । उनके पिता मेवाड़ के 76 वे महाराणा श्री मंत हुजूर महेंद्रसिंह जी मेवाड़ एवं माता टिहरी गढ़वाल की राजकुमारी निरुपमा कुमारी है । महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी ने अपनी शिक्षा मेयो कॉलेज अजमेर से की है । वर्तमान में 16 वी विधानसभा के लिए राजस्थान के नाथद्वारा से विधायक चुने गए है ।

मेवाड़ ने अपने ध्येय वाक्य – ” जो दृढ़ राखे धर्म को तिही राखे करतार “को सदा चरितार्थ किया है ।

[ मेवाड़ – विश्व प्रसिद्ध मेवाड़ के जौहर और शाके में वीर और वीरांगनाओं के उनका गर्म लहू और उनकी गर्म राख एक चुनौती भरी आवाज आक्रांता को ललकारती थी कि हम जीते जी गुलाम नहीं होंगे। मेवाड़ महाराणा प्रताप के राष्ट्र प्रेम का , सांगा के पराक्रम का , कुम्भा के शौर्य का , रानी पद्मिनी के जौहर का , गौरा – बादल के बलिदान का और क्षत्राणी पन्नाधाय का जिसने राष्ट्र के लिए अपने पुत्र का बलिदान दे दिया। कभी काबुल और कंधार तक फैला, मेवाड़ जिसका कण कण भक्ति, शक्ति और शौर्य कि गाथा अपने मे समेटे हुए, अनगिनत युद्ध, अनगिनत योद्धाओं का बलिदान तो मीरा बाई की भक्ति हजारों वीरांगनाओं के जौहर और शाकाओ का साक्षी रहा मेवाड़। ]

पिता – विश्व प्रसिद्ध मेवाड़ के महाराणा महेंद्र सिंह मेवाड़ एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो लोकसभा में सांसद थे। वह मेवाड़ के महाराणा भगवत सिंहजी के सबसे ज्येष्ठ पुत्र हैं। मेवाड़ में भगवान एकलिंगनाथ जी को मेवाड़ के अधिष्ठाता एवं महाराणा को उनका दीवाण माना जाता है । उदयपुर के महाराणाओं को शासक नहीं बल्कि श्री एकलिंगजी की ओर से राज्य का संरक्षक माना जाता है।

माता – महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़ की माता टिहरी गढ़वाल की राजकुमारी निरुपमा कुमारी है । वे टिहरी गढ़वाल के राजा लेफ्टिनेंट. कर्नल महाराजा मनबेंद्र शाह की पुत्री है ।

लेफ्टिनेंट. कर्नल महाराजा मनबेंद्र शाह भारत की दूसरी, तीसरी, चौथी, 10वीं, 11वीं, 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा के सदस्य थे। उन्होंने उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया और भारतीय जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राजनीतिक दल में शामिल होने से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे। वह भाजपा के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सदस्यों में थे ।

विवाह - उनका विवाह पंचकोटे राजपरिवार की राजकुमारी महिमा कुमारी और पंचकोटे के जगदीश्वरी प्रसाद सिंह जी देव की बेटी से हुआ है। उनके दो संतान हैं, एक बेटी का नाम बाईसा जयति कुमारी और एक बेटा है जिसका नाम भंवर देवजादित्य सिंह रखा गया है।[1]

  1. Bhanwar Singh Thada, Bhanwar Singh (2023-12-18). "विश्व के प्राचीनतम राजवंश मेवाड़ के युवराज महाराज कुमार विश्वराज सिंह जी मेवाड़" (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-02-05.