महासागरीय भूपर्पटी (Oceanic crust) किसी महासागरीय भौगोलिक तख़्ते की सबसे ऊपरी परत को कहते हैं। इसके विपरीत महाद्वीपीय भौगोलिक तख़्ते की सबसे ऊपरी परत को महाद्वीपीय भूपर्पटी कहते हैं।

एक महासागर-मध्य पर्वतमाला में भूप्रावार (मैन्टल) से उगलता हुआ मैग्मा जो ठोस होकर और समुद्री जल द्वारा रासायनिक बदलावों के बाद महासागरीय भूपर्पटी बनता है
लाल रंग वाले क्षेत्रों में भूपर्पटी की आयु कम है और नीले क्षेत्रों में अधिक है। लकीरें भौगोलिक तख़्तों की सीमाएँ दिखा रहीं हैं।

संरचना संपादित करें

यह भूप्रावार (मैन्टल) के ऊपर बिछी ठोस परत होती है जो भूप्रावर से मैग्मा के रूप में उगली गई सामग्री का ठण्डा हुआ और फिर समुद्री जल द्वारा रासायनिक अभिक्रियाओं से बदला गया ठोस रूप होती है। यह भूप्रावर की अत्यंत गर्म सामग्री का मैग्मा के रूप में उगलाव या तो दो भौगोलिक तख़्तों की संमिलन सीमा पर बनी मध्य-महासागर पर्वतमाला (mid-ocean ridge) में होता है या फिर बाढ़ बेसाल्ट के उलगावों में। महासागरीय भूपर्पटी महाद्वीपीय भूपर्पटी से कम मोटी परत होती है और १० किलोमीटर से कम की मोटाई रखती है, लेकिन यह महाद्वीपीय भूपर्पटी की तुलना में अधिक घनी भी होती है। महाद्वीपीय भूपर्पटी का औसत घनत्व २.७ ग्राम प्रति घन सेन्टीमीटर होता है जबकि महासागरीय भूपर्पटी २.९ ग्राम प्रति घन सेन्टीमीटर का औसत घनत्व रखती है।[1][2]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Rogers, N.; Blake, S.; Burton, K. An introduction to our dynamic planet. Cambridge University Press. पृ॰ 19. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-49424-3. मूल से 2 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि January 2008. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. Clare P. Marshall, Rhodes W. Fairbridge (1999) Encyclopedia of Geochemistry, Kluwer Academic Publishers ISBN 0-412-75500-9