महासिद्धांत गणितीय ज्योतिष का एक ग्रन्थ है। इसके रचयिता आर्यभट द्वितीय हैं।

इस ग्रंथ में 18 अधिकार हैं और लगभग 625 आर्याछंद हैं। पहले 13 अध्यायों के नाम वे ही हैं जो सूर्यसिद्धांत या ब्राह्मस्फुट सिद्धांत के ज्योतिष संबंधी अध्यायों के हैं, केवल दूसरे अध्याय का नाम है पराशरमताध्याय। 14वें अध्याय का नाम गोलाध्याय है जिसमें 11 श्लोक तक पाटीगणित या अंकगणित के प्रश्न हैं। इसके आगे के तीन श्लोक भूगोल के प्रश्न हैं और शेष 43 श्लोकों में अहर्गण और ग्रहों की मध्यम गति के संबंध में प्रश्न हैं। 15वें अध्याय में 120 आर्याछंद हैं, जिनमें पाटीगणित, क्षेत्रफलस, घनफल आदि विषय हैं। 16वें अध्याय का नाम भुवनकोश प्रश्नोत्तर है जिसमें खगोल, स्वार्गादि लोक, भूगोल आदि का वर्णन है। 17वां प्रश्नोत्तराध्याय है, जिसमें ग्रहों की मध्यमगति संबंधी प्रश्नों पर ब्राह्मस्फुट सिद्धांत की अपेक्षा कहीं अधिक विचार किया गया है। इससे भी प्रकट होता है कि आर्यभट द्वितीय ब्रह्मगुप्त के पश्चात् हुए हैं।

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