महेन्द्र सूरी
महेन्द्र दयाशंकर सूरि १४वीं शताब्दी के जैन खगोलविज्ञानी थे। उन्होंने 'यंत्रराज' नामक संस्कृत ग्रन्थ की रचना की जो एस्ट्रोलेब (astrolabe) से सम्बन्धित प्रथम ग्रन्थ है।[1] वे मदन सूरि के शिष्य थे। उनके पिताजी का नाम दयाशंकर और माताजी का नाम विमला था।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Glick; एवं अन्य, संपा॰ (2005). Medieval Science, Technology, and Medicine: An Encyclopedia. Routledge. पृ॰ 464. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-415-96930-1.
the Jain astronomer Mahendra Suri (fl. 1370)...wrote the first Indian treatise on the astrolabe, called the Yantraraja (1370)
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- YANTRARAJA : THE ASTROLABE IN SANSKRIT (S R SARMA)
- Astronomical Instruments In Ancient India
- ज्योतिषशास्त्र में महेन्द्रसुरि के यन्त्रराज का योगदान (संस्कृत में)
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