महेशाचार्य (अंग्रेज़ी: Maheshacharya), माहेश्वरी समाज के धार्मिक नेतृत्व का पद है। यह आदि महेशाचार्य महर्षि पराशर द्वारा स्थापित माहेश्वरी समाज के सर्वोच्च गुरुपीठ "दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (जो की माहेश्वरी अखाड़ा के नाम से प्रसिद्ध है)" के आधिकारिक मुखिया के लिये प्रयोग की जाने वाली धार्मिक उपाधि है। यह उपाधि आदि महेशाचार्य महर्षि पराशर से ली गई है; उनके समय से चले आ रहे गुरुओं की क्रमिक श्रृंखला के गुरुओं को "महेशाचार्य" के नाम से जाना जाता है। यह पद माहेश्वरी समाज का सर्वोच्च गौरवमयी पद माना जाता है।

महेशाचार्य
Maheshacharya Premsukhanand Maheshwari
महेशाचार्य
भगवान महेशजी और देवी पार्वती द्वारा माहेश्वरी समाज के उत्पत्ति किये जाने का चित्र। चित्र में- भगवान महेशजी, देवी पार्वती, 72 क्षत्रिय उमराव जो भगवान महेशजी के वरदान से माहेश्वरी बने, जागा- जिन्हे माहेश्वरीयों की वंशावली रखने का कार्य दिया गया और 6 ऋषि जिन्हे भगवान महेशजी ने माहेश्वरीयों का गुरु बनाया।

"महेशाचार्य" शब्द दो भागों से बना है, महेश और आचार्य। आचार्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है "शिक्षक", इसलिए महेशाचार्य का अर्थ है "शिक्षक", जो भगवान महेश (भगवान शिव) द्वारा दिखाए गए मार्ग को सिखाते हैं। वर्तमान में योगी प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (माहेश्वरी अखाड़ा) के पीठाधिपति और महेशाचार्य हैं। महेशाचार्य प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी सनातन धर्म की रक्षा, माहेश्वरी संस्कृति और सांस्कृतिक पहचान, उसके मूल्यों और गौरव को बनाए रखने के लिए माहेश्वरी समाज के प्रथम गुरु आदि महेशाचार्य की तरह पूरे भारत में दूर-दूर तक यात्रा कर रहे हैं। वह सामाजिक एकता, सुरक्षा, प्रगति, स्वास्थ्य, शिक्षा और मूल्यों का महत्व, गौ रक्षा, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण की समस्याएं और उनके समाधान पर संबोधित करते हैं। वह 'दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (माहेश्वरी अखाड़ा)' के माध्यम से एक सुशिक्षित, सुसंस्कृत, आत्मनिर्भर समाज बनाने, समाज और राष्ट्र की एकता को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से काम कर रहे हैं।

दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (जो की "माहेश्वरी अखाड़ा" के नाम से प्रसिद्ध है) के मुखिया/पीठाधिपति के अतिरिक्त भी भारत में कुछ अन्य लोग महेशाचार्य पद लगाने वाले मिलते हैं जो माहेश्वरी समाज की परंपरागत परम्परानुसार नहीं बल्कि स्वैच्छिक हैं। वास्तविक अर्थात असली महेशाचार्य दिव्यशक्ति योगपीठ अखाड़ा (जो की "माहेश्वरी अखाड़ा" के नाम से प्रसिद्ध है) के पीठाधिपति/प्रमुख पद पर आसीन को ही माना जाता है।