माँझी भारतवर्ष की यह एक आदिकालीन मछुआरा जाति है। माँझी जाति मूलत: हिन्दू धर्म से सम्बंधित है। यह आखेटक अर्थात शिकारी जाति के है। इनका उल्लेख महाभारत एवं रामायण जैसे भारत के प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। यह जाति प्राचीनकाल से जल जंगल और ज़मीन पर आश्रित है। वर्णव्यवस्थानुसार यह जाति शूद्र श्रेणी के अंतर्गत आती है। चूकी यह जाति मुख्यत: जल से सम्बंधित व्यवसाय कर अपना जीवनयापन करते चले आए हैं। इसी लिए माँझी, "मछुआरा"\ "मल्लाह" \"केवट" की ही कई उप-जातियों में से एक है। भारत सरकार के द्वारा किए गए १९६१ के जनगणना में स्पष्ट रूप से माँझी और मझवार को एक दूसरे का पर्यायवाची माना है। अत: इन तथ्यों से यह स्पस्ट है की माँझी और मझवार यह दोनो ही मूल्यत: एक ही जाति हैं, देश के अलग-अलग जगह रहने व अलग स्थानीय बोली के कारण ही इन्हें और भी अलग-अलग नामों से जाना जाता है।

सिंधु घाटी सभ्यता भारत की सबसे पुरानी सभ्यता है जो सिंधु नदी के पास विकसित हुई और नदियों के पास जो भी सभ्यता विकसित हुई वो निषाद मांझी आदि जाति समूहों। द्वारा ही विकसित हुई