मां योगिनी मंदिर
मां योगिनी मंदिर झारखंड में गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड में स्थित है। यह जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर दूर बारकोप में स्थित है। मां योगिनी का यह प्राचीन मंदिर तंत्र साधकों के बीच बेहद लोकप्रिय है। इसका इतिहास काफी पुराना है।
ऐतिहासिक और धार्मिक पुस्तकों के अनुसार, यह मंदिर द्वापर युग का ही है और यहां पांडवों ने अपने अज्ञात वर्ष के कई दिन बिताए थे। इसकी चर्चा महाभारत में भी है। तब यह मंदिर 'गुप्त योगिनी' के नाम से प्रसिद्ध था।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, पत्नी सती के अपमान से क्रोधित होकर भगवान शिव जब उनका जलता हुआ शरीर लेकर तांडव करने लगे थे तो संसार को विध्वंस से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के शव के कई टुकड़े कर दिए थे। इसी क्रम में उनकी बायीं जांघ यहां गिरी थी। लेकिन इस सिद्धस्थल को गुप्त रखा गया था। विद्वानों का कहना है कि हमारे पुराणों में 51 सिद्ध पीठ का वर्णन है, लेकिन योगिनी पुराण ने सिद्ध पीठों की संख्या 52 बताई है।[1][2]
जंगलों के बीच स्थित यह मंदिर तंत्र साधना के मामले में कामख्या के समकक्ष है। दोनों मंदिरों में पूजा की प्रथा एक सामान है। दोनों मंदिरों में तीन दरवाजे हैं। योगिनी स्थान में पिण्ड की पूजा होती है। कामख्या में भी पिण्ड की ही पूजा होती है।
बताया जाता है कि पहले यहां नर बलि दी जाती थी। लेकिन अंग्रेजों के शासनकाल में इसे बंद करवा दिया गया। मंदिर के सामने एक बट वृक्ष है। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस बट वृक्ष पर बैठकर साधक साधना किया करते थे और सिद्धि प्राप्त करते थे।
मंदिर का गर्भगृह आकर्षण का विशेष केंद्र है। मां योगिनी मंदिर के ठीक बांयीं ओर से 354 सीढ़ी ऊपर उंचे पहाड़ पर मां का गर्भगृह है। गर्भगृह के अंदर जाने के लिए एक गुफा से होकर गुजरना पड़ता है। इसे बाहर से देखकर अंदर जाने की हिम्मत नहीं होती, क्योंकि इसमें पूरी तरह अंधेरा होता है। लेकिन जैसे ही आप गुफा के अंदर प्रवेश करते हैं, आपको प्रकाश नजर आता है, जबकि यहां बिजली की व्यवस्था नहीं है।
बाहर से गुफा के संकड़े द्वार और अंदर चारों तरफ नुकीली पत्थरों को देखकर लोग गुफा के अंदर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते, लेकिन मां के आशीर्वाद से मोटे से मोटा व्यक्ति भी इसमें जाकर आसानी से निकल आता है। गर्भगृह के भीतर भी साधु अपनी साधना में लीन रहते हैं।
मां योगिनी मंदिर के ठीक दाहिनी ओर पहाड़ी पर मनोकामना मंदिर है। जो लोग मां योगिनी के दर्शन के लिए आते हैं, वे मनोकामना मंदिर जाना नहीं भूलते।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Bharat, E. T. V. (2022-10-02). "52वां शक्तिपीठ है गोड्डा का मां योगिनी मंदिर, एक हजार साल पुराना है इतिहास". ETV Bharat News. अभिगमन तिथि 2024-11-16.
- ↑ "52 शक्तिपीठों में एक माना जाता है गोड्डा का प्रसिद्ध योगनी स्थान मंदिर, द्वापर योग से जुड़ा है इतिहास". News18 हिंदी. 2023-07-14. अभिगमन तिथि 2024-11-16.