माता सुन्दरी
माता सुन्दरी सिक्ख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की धर्मपत्नी थीं।[2]
माता सुंदरी | |
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माता सुंदरी का जन्म स्थान | |
मौत |
1747 |
जीवनसाथी | गुरु गोबिंद सिंह |
बच्चे |
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माता-पिता | बाजवारा के खत्री राम सरन[1] |
सिख सतगुरु एवं भक्त |
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भक्त नामदेव |
धर्म ग्रंथ |
आदि ग्रंथ साहिब · दसम ग्रंथ |
सम्बन्धित विषय |
गुरमत ·विकार ·गुरू |
गुरद्वारा · चंडी ·अमृत |
नितनेम · शब्दकोष |
लंगर · खंडे बाटे की पाहुल |
इस जोड़े ने 4 अप्रैल 1684 को आनंदपुर में शादी की और उनका एक बेटा अजीत सिंह था, जिसका जन्म 26 जनवरी 1687 को पाओड़ा में हुआ था। अपने बच्चों की मृत्यु के बाद, उसने अजीत सिंह नाम के एक बेटे को गोद लिया, जिसे बाद में एक झूठे आरोप पर मार दिया गया कि उसने एक मुस्लिम दरवेश को मार डाला था।[3]
गुरु गोबिंद सिंह के स्वर्गारोहण के बाद प्रमुख सिखों में निभाई गई भूमिका के लिए वह सिख धर्म में एक विशेष स्थान रखती हैं। उनके सम्मान में एक स्मारक गुरुद्वारा बाला साहिब, नई दिल्ली के परिसर में स्थित है।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "सुंदरी, माता". अभिगमन तिथि 9 मई 2022.
- ↑ Surinder Singh Johar (1999). Guru Gobind Singh: a multi-faceted personality. M.D. Publications. पृ॰ 139. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7533-093-1.
- ↑ जे. एस., ग्रेवाल. गुरु गोबिंद सिंह (1666-1708).