माधवी सरदेसाई
भारतीय अकादमिक
माधवी सरदेसाई एक भारतीय अकादमिक थी, जो कोंकणी साहित्यिक जर्नल जाग के संपादक थी और लेखिका भी, जो मुख्य रूप से गोवा में कोंकणी भाषा में काम करती थी। वह गोवा विश्वविद्यालय के कोंकणी विभाग की प्रमुख थी। इनके द्वारा रचित एक निबंध-संग्रह मंथन के लिये उन्हें सन् २०१४ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (कोंकणी) से सम्मानित किया गया।[1]
माधवी सरदेसाई | |
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जन्म |
७/७/१९६२ लिस्बन, पुर्तगाल |
मौत |
२२/१२/२०१४ गोवा, भारत |
आवास | मार्गो, गोवा, भारत |
जीवनसाथी | राजू नायक |
बच्चे |
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उन्होंने अंग्रेजी में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की कोंकणी पर लेक्सिकल प्रभावों की तुलनात्मक भाषावैज्ञानिक और सांस्कृतिक अध्ययन पर।[2][3] सरदेसाई ने अपनी प्राथमिक शिक्षा को कोंकणी माध्यम से किया था और चौगुले महाविद्यालय, मडगांव से अंग्रेजी और दर्शन में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। कैंसर के साथ एक निश्चित लड़ाई के बाद उनका २२ दिसंबर, २०१४ को निधन हो गया।[4]
पुस्तकें
संपादित करेंउनके दूवरा लिखी गई कुछ पुस्तकें:
- भाषा-भान भाषाविज्ञान पर एक पुस्तक
- एक विचारिका जीवित कथा (एक विचार की अनन्त कहानी)
- मंकुलो राज कुन्वर, फ्रांसीसी से कोंकणी में बच्चों के लिए पुस्तक (द लिटिल प्रिंस) का अनुवाद।
- मंथन (निबंध का संग्रह)
- कोंकणी भाषा, साहित्य और भाषाविज्ञान पर शोध पत्र।
पुरस्कार और मान्यता
संपादित करें- डॉ. माधवी सरदेसाई ने किताब किताब मंथन के लिए कोंकणी (२०१४) में रचनात्मक लेखन के लिए साहित्य अकादमी, दिल्ली का पुरस्कार जीता।
- उन्होंने अकादमी के अनुवाद के लिए 'एक विशेष विचार जिता कथा' पुरस्कार प्राप्त किया।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.
- ↑ "Goa University scholar Madhavi Sardesai gets PhD for Konkani study". Oneindia News. 22 February 2007. अभिगमन तिथि 19 December 2012.[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "Madhavi Sardesai's book release". Times of India. 4 July 2012. मूल से 6 अक्तूबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 December 2012.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 27 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मई 2017.