माधव सिंह, चुआड़ विद्रोह के नायकों में से एक थे तथा बड़ाभूम परगना के दीवान थे। उन्होंने 1798 में बड़ाभूम में अंग्रेजों और बड़ाभूम राजा के विरुद्ध आंदोलन किया था।[1][2]

माधव सिंह
Madhab Singh
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जन्मस्थल : बड़ाभूम परगना, बंगाल, ब्रिटिश भारत
मृत्युस्थल: बड़ाभूम परगना, बंगाल, ब्रिटिश भारत
माता-पिता: रघुनाथ नारायण सिंह (पिता)
भाई/बहन: गंगा गोविंद सिंह (सौतेला भाई)
आन्दोलन: चुआड़ विद्रोह
राष्ट्रीयता: भारतीय

निजी जीवन संपादित करें

जंगल महल में बड़ाभूम परगना के राजा रघुनाथ नारायण सिंह की दो पत्नियां थीं। माधव सिंह राजा रघुनाथ नारायण सिंह की बड़ी रानी के पुत्र थे। उनके सौतेले भाई गंगा गोविंद सिंह छोटी रानी के पुत्र थे। उनके चाचा लक्ष्मण नारायण सिंह ने रघुनाथ नारायण को राजा नियुक्त करने के विरोध में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध जोरदार आंदोलन किया था। बाद में लक्ष्मण सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया तथा मिदनापुर जेल भेज दिया गया था, जहां उनकी मृत्यु हो गई। लक्ष्मण सिंह के पुत्र गंगा नारायण सिंह थे, जिन्होंने 1831-33 में अंग्रेजों के विरुद्ध भूमिज विद्रोह का नेतृत्व किया था।

विद्रोह और मृत्यु संपादित करें

18वीं शताब्दी में बड़ाभूम राजा विवेक नारायण की मृत्यु के बाद, अंग्रेजों द्वारा उनके दो पुत्रों में से छोटी रानी के पुत्र रघुनाथ नारायण सिंह को राजा और बड़ी रानी के पुत्र लक्ष्मण नारायण सिंह को बांधडीह का सरदार-घाटवाल नियुक्त किया गया। जिसके विरोध में लक्ष्मण सिंह ने 1770 में अंग्रेजों और राजा रघुनाथ नारायण के विरुद्ध आंदोलन किया, जिसे चुआड़ विद्रोह कहा जाता है।[3]

1798 में राजा रघुनाथ नारायण सिंह की मृत्यु के बाद, उनकी दो पुत्रों माधव सिंह और गंगा गोविंद सिंह के बीच उत्तराधिकार को लेकर विवाद हुआ।[4][5] इस विवाद में अंग्रेजों ने भी दखल दिया, लक्ष्मण सिंह के पुत्र गंगा नारायण सिंह जो पंच-सरदारी घाटवाल थे ने गंगा गोविंद सिंह का समर्थन किया। इसके बाद अंग्रेजों ने गंगा गोविंद को बड़ाभूम का राजा बनाया गया।[6] इसके साथ ही माधव सिंह के स्थान पर कृष्णा दास को बड़ाभूम का दीवान बनाया गया, जिसे आहत माधव सिंह ने राजा गंगा गोविंद के विरुद्ध विद्रोह किया।[7]

1800 में माधव सिंह ने बड़ाभूम के भूमिजों (चुआड़ों) का समर्थन प्राप्त कर लिया, तथा 4000 भूमिजों के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ विद्रोह किया।[8][9] जिसमें भूमिज सरदारों ने उनका समर्थन दिया और बड़ाभूम राज्य में आतंक मचाया। इस विद्रोह के बाद, माधव सिंह को बड़ाभूम का दीवान बनाना पड़ा।[10] विद्रोह के बाद माधव सिंह किसानों, सरदार-घाटवालों और पाइकों में काफी लोकप्रिय हुए, लेकिन जल्द ही वह एक क्रुर शासक साबित हुए। माधव सिंह ब्रिटिश कंपनी के समर्थक बन गए तथा किसानों पर अत्याचार बढ़ने लगा। माधव सिंह के अत्याचार से बचने के लिए सभी सरदार-घाटवाल, पाइक और किसान गंगा नारायण सिंह के पास गए।[11]

गंगा नारायण सिंह ने सरदार-घाटवालों के साथ अंग्रेजों के दलाल माधव सिंह पर आक्रमण कर दिया, 2 अप्रैल 1832 को बड़ाभूम के वनडीह में माधव सिंह की हत्या कर दी।[12][13][14] माधव सिंह की हत्या के पश्चात, 1832-34 में बड़ाभूम, धलभूम, मानभूम, मिदनापुर, रायपुर, पातकुम, पंचेत, फुलकुष्मा, श्यामसुंदरपुर, झालदा, बांकुड़ा, सहित पूरे जंगल महल में गंगा नारायण सिंह के नेतृत्व में भूमिज आदिवासियों का एक बड़ा विद्रोह हुआ, जिसे 'गंगा नारायण का हंगामा' के नाम से जाना गया, इतिहासकारों ने इसे चुआड़ विद्रोह और भूमिज विद्रोह भी कहा।[15][16]

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Chitale, Ranjana (2023-01-28). Janjateeya Yoddha : (Swabhiman Aur Swadheenta Ka Sangharsh). Prabhat Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-95386-46-3.
  2. Saha, Sheela; Saha, D. N. (2004). The Company Rule in India: Some Regional Aspects (अंग्रेज़ी में). Kalpaz Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-7835-251-0.
  3. Majumdar, Ramesh Chandra (1963). The Sepoy Mutiny and the Revolt of 1857 (अंग्रेज़ी में). Firma K. L. Mukhopadhyay.
  4. Commissioner, India Census (1903). Census of India, 1901 (अंग्रेज़ी में). Printed at the Government central Press.
  5. Panda, Barid Baran (2005). Socio-economic Condition of South West Bengal in the Nineteenth Century (अंग्रेज़ी में). Punthi Pustak. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-86791-52-3.
  6. The History and Culture of the Indian People: British paramountcy and Indian renaissance, pt. 1 (अंग्रेज़ी में). G. Allen & Unwin. 1951.
  7. Commissioner, India Census (1903). Census of India, 1901: India. 3 pts (अंग्रेज़ी में). Government Central Press.
  8. Kumari, Dr Kaushal; Thomas, Prof Sanjose A.; N, Dr Gayathri; Karunakaran, D. (2023-02-14). Principles Of Sociology (अंग्रेज़ी में). AG PUBLISHING HOUSE (AGPH Books). आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-19025-79-4.
  9. Majumdar, Ramesh Chandra (1971). History of the Freedom Movement in India (अंग्रेज़ी में). Firma K. L. Mukhopadhyay.
  10. Bengal: Past and Present (अंग्रेज़ी में). Calcutta Historical Society. 1954.
  11. Risley, Sir Herbert Hope (1903). India: Ethnographic Appendices, Being the Data Upon which the Caste Chapter of the Report is Based (अंग्रेज़ी में). Superintendent of government printing, India.
  12. Dab, Jayanta Kumar (2007). Local Politics and Indian Nationalism, Purulia, 1921-1947 (अंग्रेज़ी में). Progressive Publishers. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-8064-136-7.
  13. Panda, Barid Baran (2005). Socio-economic Condition of South West Bengal in the Nineteenth Century (अंग्रेज़ी में). Punthi Pustak. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-86791-52-3.
  14. Majumdar, Ramesh Chandra (1963). The Sepoy Mutiny and the Revolt of 1857 (अंग्रेज़ी में). Firma K. L. Mukhopadhyay.
  15. Majumdar, Ramesh Chandra; Ghose, D. K. (1963). British Paramountcy and Indian Renaissance (अंग्रेज़ी में). Bharatiya Vidya Bhavan.
  16. Bengal, India Superintendent of Census Operations, West (1965). District Census Handbook, West Bengal: Malda (अंग्रेज़ी में). Superintendent, Government Print.