मान का शाब्दिक अर्थ है - "किसी विषय में यह समझना कि हमारे समान कोई नहीं है"। अर्थात अभिमान, अहंकार, गर्व या शेखी ।

न्याय दर्शन के अनुसार जो गुण अपने में न हो, उसे भ्रम से अपने में समझकर उसके कारण दूसरो से अपने आपको श्रेष्ठ समझना मान कहलाता है।

बौद्ध धर्म में मान को-

  • क्लेषविषों में से एक माना गया है। (महायान)
  • ६ मूलक्लेषों में से एक माना गया है। (महायान अभिधम्म)
  • १४ अकुशल चेतशिक में से एक (थेरावाद अभिधम्म)
  • १० संयोजन में से एक (थेरावाद)