मानव ज्ञान के सिद्धांतों के संबंध में ग्रंथ-प्रबंध

मानव ज्ञान के सिद्धांतों के संबंध में एक ग्रंथ (A Treatise Concerning the Principles of Human Knowledge आमतौर पर मानव ज्ञान के सिद्धांत, या बस ग्रंथ , treatise कहा जाता है) आयरिश अनुभववादी दार्शनिक जॉर्ज बर्कले द्वारा अंग्रेजी में 1710 की एक कृति है।

पुस्तक का पहला संस्करण

यह पुस्तक मोटे तौर पर बर्कले के समकालीन जॉन लॉक द्वारा मानवीय प्रत्यक्षण की प्रकृति के बारे में किए गए दावों का खंडन करने का प्रयास करती है। जबकि, सभी अनुभववादी दार्शनिकों की तरह, लॉक और बर्कले दोनों इस बात पर सहमत थे कि हमें अनुभव होता है, चाहे भौतिक उपादान वस्तुएं मौजूद हों या नहीं, बर्कले ने यह साबित करने की कोशिश की कि बाहरी दुनिया (वह दुनिया जो किसी के दिमाग में विचारों का कारण बनती है) भी पूरी तरह से विचारों (ideas) से बनी है। बर्कले ने ऐसा यह सुझाव देकर किया कि "विचार केवल विचारों के सदृश हो सकते हैं" - हमारे पास जो मानसिक विचार हैं वे केवल अन्य विचारों (नाकि भौतिक वस्तुओं ) के सदृश हो सकते हैं और इस प्रकार बाहरी दुनिया भौतिक रूप से नहीं, बल्कि विचारों से बनी होती है। इस दुनिया को किसी अन्य शक्ति द्वारा तर्क और नियमितता दी गई है (या, कम से कम, दी गई थी), जिसके बारे में बर्कले का निष्कर्ष है कि यह ईश्वर है।