मानस संगम, कानपुर
मानस संगम, कानपुर (उत्तर प्रदेश) की एक साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था है। इसकी स्थापना सन् १९६९ के दिसम्बर माह में हुई थी। इसके संस्थापक डॉ बद्रीनारायण तिवारी हैं।
उद्देश्य
संपादित करेंमातृभाषा, राष्ट्रभाषा हिन्दी को भारत की एकता एवं अखण्डता के सेतु बनाने हेतु एक पत्थर मानस संगम के रूप में डाला गया है। इसी भाव भावना से विश्व मान्य राष्ट्रकवि तुलसीदास को हिन्दी एवं आम जनमानस का प्रतीक मानकर उन्हें व उनकी कृति रामचरित्त मानस को साध्य एवं साधन बनाकर हिन्दी के विकास में कार्य करना।
इस मंच से परम आदरणीय श्री तुलसीदास जी के पण्डिताऊ चरित्र को न दिखाकर उनके साहित्यक एवं सामाजिक स्वरूप को चित्रित करना। अपने रामचरित्र मानस में उन्होंने अपने प्रत्येक पात्र में एक आम जनमानस चरित्र को जीवन्त करने का प्रयास किया है। उनके इसी हिन्दी समर्पण के विस्तार ने किस तरह सम्पूर्ण भारत को एक साथ जोड़ा यही बताने का प्रयास मानस संगम कर रही है करती रहेगी। श्रद्वेय तुलसीदास ने अपनी कृति में वर्ग संघर्ष, जाति संघर्ष, सत्तालोलुपता, आंतकवाद को जिस प्रकार समाप्त करने का साधन बताया है वह आज अत्यन्त प्रासंगिक है। इसको चित्रित करना ही मानस संगम का प्रयास है। इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु मानस संगम सभी धर्मो, जातियों, वर्गो का हिन्दी साहित्य अभिव्यक्ति का मंच है और रहेगा।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- मानस संगम का जालघर
- संगम साहित्य सम्मान हर्ष कुमार को[मृत कड़ियाँ] (दैनिक भास्कर)