मानिकपुर सरहट
मानिकपुर सरहट (Manikpur Sarhat) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट ज़िले में स्थित एक नगर है। यह वास्तव में मानिकपुर शहर और सरहट गाँव का संयुक्त क्षेत्र है।[1][2]
मानिकपुर सरहट Manikpur Sarhat | |
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मानिकपुर जंक्शन | |
निर्देशांक: 25°04′01″N 81°06′00″E / 25.067°N 81.100°Eनिर्देशांक: 25°04′01″N 81°06′00″E / 25.067°N 81.100°E | |
ज़िला | चित्रकूट ज़िला |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 16,467 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
सरहट गाँव
संपादित करेंसरहट गांव उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जनपद के मानिकपुर तहसील के पाठा क्षेत्र में स्थित है। यह मिनी चम्बल के नाम से भी मशहूर है। क्योंकि यह आज भी दस्यु डेंगू के साए में सांसे ले रहा है। मानिकपुर के बीहड़ में आज भी बेरहम डकैतों की फेहरिस्त बनी हुई है । डकैतों की आहट पाते ही कभी पत्ते भी हिलना बंद कर देते हैं । भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट का पाठा क्षेत्र जहां पर सरहट नाम के स्थान पर स्थित शिलाओ पर कुछ अजीब सी आदिवासी सभ्यता को चित्रंकित करती कलाकृतियां किसी भी जिज्ञासु को अपनी और आकर्षित करने के लिए काफी हैं । यहां पर इतिहास के कालखंड भी अपने अस्तित्व की गवाही दे रहे हैं । आदिमानव ने शिला पर अपनी कला के कई निशान छोड़े हैं ।यह शैल चित्र हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति से संबंधित हैं। मनुष्य की सामूहिकता को दर्शाते हुए इन चित्रों में खनिज रंगों का प्रयोग किया गया है जिनमें लाल ,गेरुआ व सफेद रंगों का प्रयोग किया गया है । पशुओं को खींचते हाथी घोड़ा को दर्शाते यह शैलचित्र आज भी नए लगते हैं । इसमें मनुष्य घोड़ों को खींचते हुए दिखाई दे रहा है । यह चित्र विषय शैली तथा सामग्री की दृष्टि से उस समय के मानव जीवन के प्रतीक हैं अर्थात यह चित्र आदिमानव के जीवन के विकास से संबंधित हैं । यह चित्र मुख्यतः नृत्य, संगीत ,आखेट से संबंधित हैं । यह शैलचित्र यहां की प्राचीन शैली के गवाह हैं ।उस काल में भी लोग नृत्य व संगीत से लगाव रखते थे । इस चित्र में मानव सभ्यता के पूर्वज नाचते हुए प्रतीत हो रहे हैं । यह महज एक चित्र की कहानी नहीं है, बल्कि यह पाठा क्षेत्र के सरहट में एक बड़ी पुरापाषाण कालीन संस्कृति है, जो बहुत बड़े क्षेत्र में फैली हुई है । यह चित्र लगभग 30000 साल पुराने पुरापाषाण काल से मध्य पाषाण काल के बीच के बताए जा रहे हैं । यहां बिखरी पड़ी धरोहरे इतिहासहास के कालखंड के रहस्य को अपने गर्भ में छिपाएं ह। ैं पाषाण युग में आदिमानव पत्थर के जिन हथियारों का प्रयोग करता उा इन सभी हथियारों का वर्णन यहां शैले सचित्र शैलाश्रयलाश में ।है यह हथियार आदिमानव जंगल में पशु से अपनी रक्षा करने के लिए प्रयोग करता था।
सरहट गांव में मिले शैल चित्रों का इतिहास : सरहट गांव में मिले शैल चित्र , जो कि अपने आप में एक अचंभित कर देने वाले चित्र हैं| पुरापाषाण युग से 20 लाख वर्ष पुराने इन शैल चित्रों का संबंध सीधी तौर पर पाठा क्षेत्र में रहने वाले कोल आदिवासियों से लगाया जा सकता है | जैसा कि सरहट गाँव के आसपास जिन जगहों पर यह चित्र प्राप्त हुए हैं , उन जगहों पर सिर्फ कोल जनजाति के लोग ही रहते हैं | इससे यह साबित होता है , कि कोल जनजाति के पूर्वजों के द्वारा ही इन चित्रों को बनाए गए थे | जो कि इस पठारी जंगलों में रहते थे , धीरे-धीरे उनकी स्थिति में सुधार होते गए और उन्होंने लकड़ी के कोयले व अन्य चीजों से दीवारों में तस्वीरें बनाई यह तस्वीरें जिनमें से कुछ आज जिंदा सबूत की तरह हैं उनके रहन-सहन की स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां देते हैं | पाठा की कोल जनजाति आज भी एक अध्ययन का विषय है, आज भी कोल आदिवासी अपने शादी विवाह व पारंपरिक कार्यो में ऐसे ही शैल चित्रों का निर्माण करते हैं जिनको बोहबर बोला जाता है
मानिकपुर शहर
संपादित करेंमानिकपुर उत्तर प्रदेश राज्य के चित्रकूट जिले का एक शहर है। मानिकपुर तहसील है और ब्लॉक भी और थाना भी, मानिकपुर ब्लॉक में करीब ग्यारह वार्ड है और चालीस गांव हैं मानिकपुर पहाड़ के ऊपर बसा हुआ शहर है, दूर से देखने पर और भी खूबसूरत दिखता है यहाँ की खोया मंडी ज़्यादा मशहूर है। यहाँ पर बाज़ार ,कॉलेज ,हस्पताल और घूमने के कई जगह भी है जैसे कि आनंदी माता मंदिर, राधाकृष्ण मंदिर, भेधक ... और भी। यहाँ पर साधन, रेलगाड़ी, मोटर बस से भी आने जाने में कोई परेशानी नहीं है और यहाँ से चित्रकूट धाम भी पास में है यहाँ पर बहुत अच्छा लगता है।
शिक्षा
संपादित करें- आदर्श इंटर कॉलेज
- राजकीय बालिका इंटर कॉलेज
- राजकीय बालिका डिग्री कॉलेज
- सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज
- आईटीआई कॉलेज
- जय प्रकाश नारायण सर्वोदय इंटर कॉलेज
पर्यटन स्थल
संपादित करें- आनन्दी माता मन्दिर : जिला मुख्यालय से (40) किलोमीटर दूर मानिकपुर पाठा के अंतर्गत आने वाला मरवारिया पहाड़ जो मानिकपुर से लगभग 5 किलोमीटर की दूर पर निहि चरैया मार्ग पर पड़ता है | इस रास्ते पर मरवारिया पहाड़ पर माँ आनंदी का भाव्य मंदिर स्थित है, जहां पर माँ आनंदी के दर्शन हेतु साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है | हर साल असाढ़ मास मे इस मंदिर मे भव्य मेले का आयोजन किया जाता है , जिसमे पूरे पाठा के लोग दर्शन के लिए आते है |
- राधा कृष्ण मन्दिर : श्री राधा कृष्ण मंदिर मानिकपुर नगर में बंधवा तालाब के किनारे स्थित है इस मंदिर को देख कर मनमुग्ध हो जाता है , इस मंदिर का निर्माण ठाकुर भरोसा सिंह ने बनवाया था । वो मूलतः मानिकपुर के रहने वाले थे , उन्होंने इस मंदिर में अस्ट धातु से बनी श्री राधा कृष्ण की मूर्तियां स्थापित करवाई थी जिनकी कीमत वर्तमान में करोड़ो की है । जो अभी भी मंदिर में स्थापित है जिनको देखने के लिए साल भर लोगों तांता लगा रहता है । हर साल मंदिर से कलस यात्रा का आयोजन किया जाता जिसमे श्री राधा कृष्ण की झांकी सजाई जाती है , जिसमे सैकडों श्रद्धालु सम्मिलित होते है और यात्रा का आनन्द लेते है ।
- धारकुण्डी आश्रम :
- कामतानाथ चित्रकूट
- बेधक नाथ :
- खंभेस्वर
- अमरावती आश्रम
इन्हें भी देखें
संपादित करेंबाहरी कड़ियाँ
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Uttar Pradesh in Statistics," Kripa Shankar, APH Publishing, 1987, ISBN 9788170240716
- ↑ "Political Process in Uttar Pradesh: Identity, Economic Reforms, and Governance Archived 2017-04-23 at the वेबैक मशीन," Sudha Pai (editor), Centre for Political Studies, Jawaharlal Nehru University, Pearson Education India, 2007, ISBN 9788131707975