मालिनीथान
मालिनीथान (Malinithan) अरुणाचल प्रदेश राज्य के निचले सियांग ज़िले में जमीन से 60 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। मालिनीथान असम और अरूणाचल प्रदेश की सीमा के पास लिकाबाली क्षेत्र में है। सीमा पर मेदानी क्षेत्र समाप्त हो जाते हैं और पर्वत श्रृंखलाएँ शुरू हो जाती हैं। मालिनीथान यहाँ का सबसे ख़ूबसूरत और पवित्र पर्यटन स्थल है, और इस से ब्रह्मपुत्र नदी के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। इस पूरी पहाड़ी पर पत्थर की प्रतिमाएँ देखी जा सकती हैं। यह सभी प्रतिमाएँ बहुत ख़ूबसूरत हैं। मालिनीथान का निर्माण 15वीं शताब्दी में शुतीया राजवंश के राजा लक्ष्मीनारायण ने करा था।[1]
मालिनीथान | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | लिकाबाली |
ज़िला | निचला सियांग ज़िला |
राज्य | अरुणाचल प्रदेश |
देश | भारत |
लिकाबाली में मालिनीथान | |
भौगोलिक निर्देशांक | 27°39′24″N 94°42′21″E / 27.65667°N 94.70583°Eनिर्देशांक: 27°39′24″N 94°42′21″E / 27.65667°N 94.70583°E |
वास्तु विवरण | |
निर्माण पूर्ण | 14वीं से 15वीं शताब्दी |
वेबसाइट | |
मालिनीथान वेबपेज |
खोज
संपादित करेंमालिनीथान (Malinithan) अरुणाचल प्रदेश राज्य के निचले सियांग ज़िले में जमीन से 60 मीटर की ऊँचाई पर स्थित एक हिन्दू धार्मिक स्थल है। मालिनीथान प्रतिमओं
की खोज 1968-1971 ई. की श्रृंखलाबद्ध खुदाई के दौरान हुई थी। खुदाई में प्रतिमाओं के साथ स्तंभ और अनेक कलाकृतियाँ भी मिली हैं। इन्हें देखने के लिए पर्यटक यहाँ बड़ी संख्या में आते है। पर्यटकों के अलावा तीर्थयात्रियों में भी मालिनीथान बहुत लोकप्रिय है। यहाँ पूजा करने के लिए देश-विदेश से हजारों तीर्थयात्री भी आते हैं।
इतिहास
संपादित करेंमालिनीथान के साथ श्री कृष्ण की कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण और रुक्मणी ने द्वारका जाते समय यहीं पर विश्राम किया था। उनके विश्राम के समय भगवान शिव और उनकी पत्नी पार्वती ने उनका स्वागत फूलों के हार से किया था। तब भगवान कृष्ण ने उनको मालिनी नाम दिया था। तब से इस स्थान को मालिनीथान और मालिनीस्थान के नाम से जाना जाता है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Malini Than". Government of Arunachal Pradesh. मूल से 12 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 May 2015.