माली जाति का नाम संस्कृत के शब्द 'मालिका' से लिया गया है जिसका अर्थ है 'माला बनाने वाला'। उनमें अधिकांश हिन्दू हैं यद्यपि कि माली का एक छोटा समूह मुस्लिम भी है। हिन्दू माली अपने वंश को मथुरा के यादव राजा कंस का माला बनाने वाले से मानते हैं। उनका पारम्परिक व्यवसाय बाग़बानी और पूजा के लिए फूलों को उपलब्ध कराना है। उत्तर प्रदेश में वे श्रीमाली एवं सैनी के रूप में जाने जाते हैं। भूमिधर एवं भूमिहीन दोनों प्रकार के माली होते हैं। उनका पारम्परिक व्यवसाय फूलों को उगाना एवं माला बनाना है। फूलों के उगाने के अतिरिक्त वे दूल्हा-दुल्हन एवं शिरोवस्त्र (पगड़ी आदि) के सजावटी कार्य में एवं अनुष्ठानों के अवसर पर फूलों की सजावट के कार्य में भी लिप्त हैं।[1]

  1. Hasnain, Nadeem (2011). Doosra Lucknow. Vani Prakashan. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5000-850-8.