मास्टर मदन
भारतीय ग़ज़ल और गीत गायक
मास्टर मदन ( गुरुमुखी:ਮਾਸਟਰ ਮਦਨ; 28 दिसंबर 1927 - 5 जून 1942) स्वतंत्रता-पूर्व युग के भारतीय ग़ज़ल और गीत गायक थे। उन्होंने अपने जीवन के दौरान केवल आठ गाने रिकॉर्ड किए जो अब आम तौर पर उपलब्ध हैं। उनका जन्म 28 दिसंबर 1927 को पंजाब के जालंधर जिले (अब नवांशहर) के एक गाँव खान खाना में हुआ था।[1] यह गाँव अकबर के प्रतिष्ठित दरबारी अब्दुल रहीम खान-ए-खाना द्वारा बसाया गया था, जो एक विपुल लेखक थे। मदन की 5 जून 1942 को शिमला में मृत्यु हो गई।[1][2]
मास्टर मदन | |
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जन्म |
मदन 28 दिसम्बर 1927 खान खाना, शहीद भगत सिंह नगर जिला |
मौत |
5 जून 1942 | (उम्र 14 वर्ष)
पेशा | गायक |
कार्यकाल | 1937–1941 |
गीत
संपादित करेंउनके आठ गीत निम्न हैं:
- बागान विच पिनगान पैइयां (पंजाबी)
- रावी दे पार्ले कंडे (पंजाबी)
- यूं ना रह रह कर हमें तरसाई (उर्दू ग़ज़ल)
- हेरत से तक रहा है जहां वफा मुझे (उर्दू ग़ज़ल)
- गोरी-गोरी बईयां (ठुमरी)
- मोरी बिनती मनो कान्हा रे (ठुमरी)
- मन की मन ही माही रही (गुरबानी)
- चेतना ही तो चेत ले (गुरबानी)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ "A child prodigy: Master Madan". Academy of the Punjab in North America. अभिगमन तिथि 1 December 2015.
- ↑ "'Qala', Babil Khan & The Tragic True Story Of 14-Year-Old Child Prodigy Master Madan". MSN (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-06-02.
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- एक बच्चा कौतुक: मास्टर मदन
- उत्तरी अमेरिका में पंजाब अकादमी का एक लेख)]
- उनके सभी आठ गाने
- मास्टर मदन के बारे में कुछ जानकारी
- मास्टर मदन के बारे में कुछ जानकारी
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