33 कोटी देवताओं को चार वर्ग में विभाजित किया गया है। जिनमे से एक वर्ग आदित्य है। आदित्यों की संख्या 12 है, जिसमे दुसरा स्थान मित्र देव का है।आदित्यों का संबंध भगवान नारायण से है। यही कारण है कि मित्र देव का रुप भगवान नारायण जैसा है। इनका वर्णन सुर्य के समान तेजस्वी पुरुष के रुप मे किया जाता है,जो अपने दोनो हाथ फैलाकर रखते हैं। यें पीले वस्त्र पहनते हैं।