मीटू आन्दोलन (मंगोलिया)

मंगोलिया में मीटू आन्दोलन

मीटू आंदोलन (या #MeToo मूवमेंट ) या तो कार्यस्थल में महिलाओं के यौन उत्पीड़न या अमेरिकी मीटू आन्दोलन के एक शाखा के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अभियान से प्रभावित एक स्वतंत्र उग्रता के रूप में देखा जाता है।[1][2] #MeToo आंदोलन की लोकप्रियता हासिल करने के साथ यह कई अन्य देश जैसेकि भारत[3] और कई अन्य देशों में प्रमुखता हासिल करना शुरू हुआ, जिनमें रूस और चीन के बीच में स्थित देश में मंगोलिया का मीटू आन्दोलन भी प्रसिद्ध हुआ है और उसकी काफ़ी चर्चा हुई है।

मंगोलियाई महिलाएँ खुले मैदान में काम कर रही हैं।

मंगोलिया में मीटू आन्दोलन 2017 में शुरू हुआ जब दो बहनों सराज़न्या और नज़ारन्या ने देश के सत्ताधारी दल के सांसद गंतुल्गा दोर्जदुगार (Gantulga Dorjdugar) पर बलात्कार का आरोप लगाया। पीड़िता नज़ारन्या के बयान किए गए घटनाक्रम के मुताबिक़ सराज़न्या ने सांसद को एक रात घर में रहने की अनुमति दी और दूसरे दिन इस महिला ने सांसद के घर ही में रहने के दौरान काम पर चली गई जब गंतुल्या दोर्जदुगार ने मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए नज़ारन्या का बलात्कार कर दिया। इस पूरे मामले पर सांसद गंतुल्या दोर्जदुगार का यही कहना था कि उसने दोनों बहनों के साथ उनकी मर्ज़ी से संभोग किया है और इसमें कहीं भी ज़ोर-ज़बरदस्ती जैसी कोई बात नहीं थी। राष्ट्रीय-सतर पर यह मामला काफ़ी तूल पकड़ चुका था और न्यायालय में ख़ुद को निर्दोष होने का दावा करने के बावजूद भी गंतुल्या दोर्जदुगार को संसद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। [4]

2021 में एक ऐसे ही मामले बी.सुदेरिया नामी महिला ने अपनी पीड़ा सामाजिक मीडिया साझा की थी। उसने दावा किया कि त्स.अनादबाज़ार नामक विधायक के हाथों वह यौन उत्पीड़न का शिकार हुई है। पीड़िता का दावा है कि उससे 1000 ऐसी महिलाओं ने सम्पर्क किया है जो त्स.अनादबाज़ार के हाथों इसी तरह सताई जा चुकी हैं। [5]

सामाजिक जागरूकता

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मंगोलिया में कई चौंकानेवाले और व्यापक रूप से चर्चित योन अपराध 2017 के आखिर देश में फैली यौन हिंसा की ओर जनता में आक्रोश की भावना ला चुके हैं। इसके कारण देश में सार्वजनिक स्थलों और कार्य-स्थलों में यौन हिंसा और यौन उत्पीड़न के विरुद्ध कड़े क़ानून और सख्त क़दम उठाने की माँग पर ज़ोर दिया गया और इसके लिए प्रयास भी किए गए हैं। सामाजिक मीडिया पर #OpenYourEyes (अपनी आँखे खोलिए) अभियान भी खूब चलाया गया।[6]

इससे पूर्व 2016 में सामाजिक कार्यकर्ताओं और नारीवादी विधायकों के वर्षों के प्रयासों के कारण घरेलू हिंसा को पहली बार अपराध माना गया। मीटू आन्दोलन की रौशनी में गैर-सरकारी संगठन इस बात का प्रयास करना शुरू कर चुके हैं कि कार्यस्थल पर भी महिलाओं की सुरक्षा को देश के मज़दूर अधिनियमों में सुनिश्चित किया जाए। यौन हमला या यौन उत्पीड़न जो बलात्कार के स्तर से ऊपर है देश के मानवाधिकार आयोग के अधीन है जो केवल सिफ़ारिशें कर सकता है।[4]

यौन उत्पीड़न / हिंसा की व्यापकता

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आंकड़ों के अनुसार हर सात में से एक महिला अपने साथी के अलावा किसी और से यौन हिंसा की शिकार बनी है। राष्ट्र-व्यापी सर्वे के अनुसार यह भी बात चला है कि "कठोर यौन हिंसा" झेलनीवाली केवल 10% ऐसी महिलाओं ने अपने मामले को पुलिस के हवाले किया। बलात्कार की 300 पीड़िताओं के सर्वे से पता चला है कि इनमें से 65% मामलों पर अदालत में मुक़दमा चलता है। सर्वे की केवल 9.5% पीड़िताओं को मुआवज़ा मिला था, जो पुलिस के आँकड़ों के अनुसार 804,854 तुगरिक की औसत से दिया गया था।[4]

उलटी लैंगिक असमानता

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मंगोलिया में कई विकसित तथा विकासशील देशों की तुलना में महिलाएँ पुरुषों से शिक्षा, स्वास्थ्य और कार्य में काफ़ी आगे हो चुकी हैं। कई निचले स्तर के काम जैसे कि चरवाहों का कार्य अब मर्दों के लिए विशेष है। पुरुषों में बेरोज़गारी और शराबखोरी की दरें काफ़ी बढ़ी हुई हैं। इसके अलावा उनका जीवनकाल भी स्त्रियों से दस साल कम है। इन लैंगिक असमानताओं के विपरीत कारणों से भी यौन उत्पीड़न और हिंसा को बढ़ावा मिला है।[4]

इन्हें भी देखें

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  1. "After a Long Wait, India's #MeToo Movement Suddenly Takes Off". मूल से 18 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2018.
  2. "India glows with #MeToo".
  3. "Me Too Campaign: जानिए क्‍या है मी टू मूवमेंट, कब, कहां और कैसे हुई शुरुआत". मूल से 17 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 अक्तूबर 2018.
  4. How the #MeToo movement came to Mongolia
  5. "#MeToo movement takes root in Mongolia". मूल से 10 मई 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2021.
  6. Mongolia’s #MeToo Movement: Mongolia’s viral #OpenYourEyes campaign brings attention, but can it spur changes to combat gender-based violence?