मीनल संपथ

भारत के मार्स ओरबिटल मिशन के समय इसरो में एक सिस्टम इंजीनियर के रूप में उन्होंने ५०० वैज्ञानिकों

मीनल संपथ को मिनल रोहित के नाम से भी जाना जाता है। यह स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (SAC), अहमदाबाद में एक वैज्ञानिक/ इन्जीनियर के तौर पर काम करती हैं। इन्होंने निरमा इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, अहमदाबाद से इलेक्ट्रॉनिक एवं संचार में बी. टेक. की है। एक विधार्थी के तौर पर पीएसएलवी रॉकेट की निर्दोष उड़ान के सीधे प्रसारण से प्रभावित हो कर उन्होंने 1999 में बेंगलोर में स्थित भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान  केंद्र (ISRO) में कार्यभार संभाला। दिलचस्पी की बात तो यह है कि वह डाक्टर बनना चाहतीं थीं, पर दन्त विज्ञान में एक नंबर कम होने के कारण उन्हें दाखिला नहीं मिला और उन्होंने इंजिनियरिंग में दाखिला ले लिया। 

बैंगलोर से SAC 2004 तबादले के बाकी उन्हें ISRO के अध्यक्ष ई. एस किरण कुमार के साथ काम करने का अवसर मिला, जो कि सैक, अहमदाबाद में उनके समूह के निर्देशक थे। उनकी वर्तमान गतिविधियों में इनसैट-3 डी एस के लिए मौसमी पेलोड पर काम करना शामिल है जो कि जल्द ही एक वृद्ध इनसैट उपग्रह की जगह ले लेगा और चन्द्रयान-II के कुछ उपकरणों पर काम कर रही हैं।[1]

देश के सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा करने की खातिर, दो साल तक मीनल संपथ ने भारत के मंगल मिशन में एक प्रणाली इंजीनियर के रूप में काम किया, जिसके दौरान वे अक्सर एक दिन में 18 घंटे काम करती थीं। [2]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2017.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मार्च 2017.