मीनार (अरबी: منارة‎ या مئذنة‎, मनारह; अर्थ: दीपगृह) ऊँचा स्तंभ-नुमा स्थापत्य होता है जो देखने में किसी आम बुर्ज से अधिक लम्बा और खिंचा हुआ दिखता है। सामान्यतः मीनार बेलनाकार, लम्बे और ऊपर प्याज़-नुमा मुकुट से सुसज्जित होते हैं। वे आसपास की इमारतों से अधिक ऊँचे होते हैं और अक्सर मुस्लिम मस्जिदों के साथ लगे हुए पाए जाते हैं।[1]

मीनार शैलियों के प्रकार
ईराक़ के सामर्रा शहर की मलवीया नामक मीनार

मीनारों में आम-तौर पर एक निचला दरवाज़ा होता है जिस से मीनार में दाख़िल हुआ जा सकता है, अन्दर एक ज़ीना होता है जिस से ऊपर तक चढ़ा जा सकता है और सबसे ऊपर खड़े होने की जगह होती है।[2] इस्लामी प्रथा में इस ऊँचे चबूतरे पर खड़े होकर मुल्ला अज़ान लगाकर लोगों को नमाज़ पढ़ने के लिए बुलाया करते हैं, हालांकि ज़रूरी नहीं है कि हर मीनार का प्रयोग इसी प्रकार हो। भारतीय उपमहाद्वीप, अफ़ग़ानिस्तान और ईरान में मीनारें गोल या अष्टभुजी (ऑक्टॉगोनल​) होती हैं लेकिन उत्तरी अफ़्रीका में चकोर अकार की मीनारें बनाने की प्रथा है।

इन्हें भी देखें

संपादित करें
  1. "minaret." Archived 2012-05-25 at the वेबैक मशीन Online Etymology Dictionary. Douglas Harper, Historian. 21 Mar. 2009.
  2. "Dynamic response of masonry minarets strengthened with Fiber Reinforced Polymer (FRP) composites (Natural Hazards and Earth System Sciences) p. 2012" (PDF). मूल (PDF) से 26 अप्रैल 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जून 2012.