मुनि जिनेन्द्र विजय
मुनि जिनेन्द्र विजय 'जलज'
संपादित करेंजैन सन्त मुनि जिनेन्द्र विजय मध्य प्रदेश के रतलाम जिले में पैदा हुए। आपको ‘जलज’ नाम से भी जाना जाता है।
जैन कुल में पैदा होने के अलावा भी अपनी जैन धर्म में तीव्र जिज्ञासा के कारण बाल्यावस्था में ही इन्होंने गृहस्थ जीवन का त्याग कर जैन दीक्षा ग्रहण की और आत्मकल्याण के मार्ग पर अग्रसर हुए। दीक्षा काल में संयम साधना एवं कठोर जप्-तप से ज्ञानार्जन को प्रगतीशील हुए। अपनी कठोर साधना के फल्स्वरुप ही अल्प-आयु में ज्योतिष विद्या के प्रकाण्ड ज्ञाता बन इन्होंने ‘ज्योतिष सम्राट’ की उपाधि हासिल की।
आत्म कल्याण और ज्ञानार्जन के साथ ही समाज कल्याण की दिशा में भी आप अग्रसर हैं और सामाजिक चेतना और धर्म प्रचार के उद्देश्य से प्रवचन और पुस्तक रचना के क्षैत्र में आप निरन्तर क्रियाशील हैं। आपके समाजोत्थान के प्रयासों के परिणाम स्वरुप जैन समाज ने आप श्री को ‘मालवा भुषण’ कि उपाधि से नवाजा है।
--Nilesh.Kanthed ०६:३३, ३० अक्टूबर २००९ (UTC)