मुल्ला दो-पियाज़ा (1527-1620) मुग़ल बादशाह अकबर के सलाहकार और वज़ीर थे। मुल्ला दो-पियाज़ा, जिसे बुद्धिमान भी माना जाता है, बीरबल का प्रतिद्वंद्वी था। हालाँकि ये लोक कथाएँ अकबर के शासनकाल (1556-1605) के अंत में उत्पन्न हुईं, मुल्ला दो-पियाज़ा बहुत बाद में सामने आने लगीं। अधिकांश विद्वान इन्हें पूर्णतः काल्पनिक मानते हैं। विद्वान उन्हें मुग़लों के वफादार सेनापति बैरम खान का पुत्र मानते हैं, जिनकी हज पर जाते समय माहम अंगा के पुत्र अधम खान ने हत्या कर दी थी। बाद में मुल्ला को अकबर ने अपने दरबारी के रूप में अपनाया और मुगल दरबार में सम्मान भी दिया।