मूलभद्र या मूलभद्रि मध्यकाल में त्रावणकोर साम्राज्य के शाही जासूसों द्वारा अपनाया जाने वाला संचार का एक गुप्त तरीका था।[1] इस योजना को बोलचाल की भाषा में मूलपत्र भी कहते थे। यह वास्तव में कूटलेखन की एक योजना थी जिसमें मलयालम वर्णमाला के अक्षरों का आंशिक स्थानान्तरण किया जाता था। इस योजना का व्यापक रूप से त्रावणकोर साम्राज्य के राजा मार्तण्ड जासूसों द्वारा मौखिक और लिखित संदेशों के संचार के लिए उपयोग किया गया था।

निम्नलिखित तालिका मूलभद्र कोड में उपयोग की जाने वाली स्थानांतरण योजना बताती है।[1]

स्पष्ट पाठ അം അഃ
कूट पाठ കാ കി കീ കു കൂ കൃ കെ കേ കൈ കൊ കോ കൌ കം ക:
स्पष्ट पाठ
कूट पाठ
स्पष्ट पाठ:
कूट पाठ ക്ഷ
स्पष्ट पाठ: ല്‍ ന്‍ ര്‍ ള്‍
कूट पाठ പ് മ് ഷ് ക്ഷ്

स्मरण-सहायक (Mnemonic)

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इस योजना भाषा को सीखने के लिये प्रयोक्ताओं ने एक स्मरणविधि विकसित कर ली थी। स्मरण विधि एक श्लोक की तरह थी।

അകോഖഗോഘങശ്ചൈവ

ചടോഞണതപോമനഃ

യശോരഷോലസശ്ചൈവ

स्पष्ट पाठ പല്‍മനാഭപുരം രാമന്‍ ആള്‍ക്കാര്‍
कूट पाठ തസ്നറാധതുഷം ഷാനമ് കാക്ഷ് ആഷ്


देवनागरी के माध्यम से उपरोक्त नियमों का विवेचन

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अं अः
का कि की कु कू कृ कॆ के कै कॊ को कौ कं कः

उदाहरण : अकं = कअं

ख - ग घ - ङ च - ट
छ -ठ ज - झ ञ - ण
ड - ढ त - प द - ध
थ - फ ब - भ म - न
य - श र - ष ल - स
व - ह क्ष - ळ ऴ - ऱ
ङ्क - ञ्च ण्ट - न्त
म्प - न्न न्ऱ - ऱ्‌ऱ
न् - ल् र् - ळ्
क्क - अअ
१ - २ ३ - ४ ५ - ६ ७ - ८ ९ - ०

सूत्ररूप में नियम

अको खगो घङश्चैव

चटो ञण तपो नमः जझो डढो दधश्चैव बभो थफ छठेति च यशो रषो लसश्चैव वह क्षळ ऴऱ क्रमाल् ङ्कञ्च ण्टन्त म्पन्न न्ऱऱ्‌ऱ न्ल् र्ळ्

मलयाळं = नसशाक्षं
विक्किपीडिय = हिअइतीढिश
२०१० = १९२९

ऒरु संस्कृतश्लोकवुं मूलभद्रीपरिभाषयुं नल्कुन्नु:

श्लोकं:

नमश्शिवाय शान्ताय शुद्धाय परमात्मने
सच्चिदानन्तरूपाय दक्षिणामूर्त्तये नमः

मूलभद्रि:

मनय्यिहाश याण्टाश युध्दाश तषनाप्नमे
लट्टिधामंधषूताश धळिञानूळ्प्पशे मनः
  1. Bhaskaranunni, Pi. (1988). Pattompatāṃ nūt̲t̲āṇṭile Kēraḷaṃ: paṭhanaṃ (പത്തൊമ്പതാം നൂറ്റാണ്ടിലെ കേരളം) [Kerala in the Nineteenth Century] (Malayalam में). Thrissur, Kerala, India: Kerala Sahitya Akademi. पृ॰ 670. LCCN 91904280.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link) सन्दर्भ त्रुटि: <ref> अमान्य टैग है; "Unni" नाम कई बार विभिन्न सामग्रियों में परिभाषित हो चुका है