मेरी क्युरी

पोलिश-फ्रांसीसी भौतिक विज्ञानी और केमिस्ट
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मैरी स्क्लाडोवका क्यूरी, पोलिश: Maria Salomea Skłodowska-Curie (७ नवम्बर १८६७ - ४ जुलाई १९३४) विख्यात भौतिकविद और रसायनशास्त्री थी। मेरी ने रेडियम की खोज की थी।[1] विज्ञान की दो शाखाओं (भौतिकी एवं रसायन विज्ञान) में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं।[2] वैज्ञानिक मां की दोनों बेटियों ने भी नोबल पुरस्कार प्राप्त किया। बडी बेटी आइरीन को १९३५ में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव को १९६५ में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।

मेरी क्युरी

क्यूरी ल. 1920
जन्म 7 नवम्बर 1867
मृत्यु 4 जुलाई 1934(1934-07-04) (उम्र 66 वर्ष)
नागरिकता
  • पोलैंड (जन्म से)
  • फ्रांस (विवाह से)
क्षेत्र
प्रसिद्धि
उल्लेखनीय सम्मान
टिप्पणी
वह दो विज्ञानों में नोबेल पुरस्कार जीतने वाली एकमात्र व्यक्ति हैं।

मेरी क्युरी का जन्म पोलैंड के वारसा नगर में हुआ था। महिला होने के कारण तत्कालीन वारसॉ में उन्हें सीमित शिक्षा की ही अनुमति थी। इसलिए उन्हें छुप-छुपाकर उच्च शिक्षा प्राप्त करनी पड़ी। बाद में बड़ी बहन की आर्थिक सहायता की बदौलत वह भौतिकी और गणित की पढ़ाई के लिए पेरिस आईं। उन्होंने फ़्रांस में डॉक्टरेट पूरा करने वाली पहली महिला होने का गौरव पाया। उन्हें पेरिसविश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर बनने वाली पहली महिला होने का गौरव भी मिला। यहीं उनकी मुलाक़ात पियरे क्यूरी से हुई जो उनके पति बने। इस वैज्ञानिक दंपत्ति ने १८९८ में पोलोनियम की महत्त्वपूर्ण खोज की। कुछ ही महीने बाद उन्होंने रेडियम की खोज भी की। चिकित्सा विज्ञान और रोगों के उपचार में यह एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी खोज साबित हुई। १९०३ में मेरी क्यूरी ने पी-एच.डी. पूरी कर ली। इसी वर्ष इस दंपत्ति को रेडियोएक्टिविटी की खोज के लिए भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।[3] १९११ में उन्हें रसायन विज्ञान के क्षेत्र में रेडियम के शुद्धीकरण (आइसोलेशन ऑफ प्योर रेडियम) के लिए रसायनशास्त्र का नोबेल पुरस्कार भी मिला। विज्ञान की दो शाखाओं में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित होने वाली वह पहली वैज्ञानिक हैं।[2] वैज्ञानिक मां की बड़ी बेटी आइरीन को १९३५ में रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ तो छोटी बेटी ईव के पति हेनरी रिचर्डसन लेवोइस को १९६५ में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।

म्रुत्यु

66 साल की उम्र में फ्रांस के सांटोरियम में अप्लास्टिक एनीमिया को वजह से 1934 में उनकी मृत्यु हो गयी.

“जीवन में कुछ भी नहीं जिससे डरा जाए, आपको बस यही समझने की ज़रुरत है.” मैडम क्युरी आज भले ही इस संसार में नही हैं किन्तु उनके द्वारा किये गए कार्य तथा समर्पण को विश्व कभी नही भूल सकता. आज भी समस्त विश्व में मैरी क्युरी श्रद्धा की पात्र हैं तथा उनको सम्मान से याद करना हम सबके लिए गौरव की बात है.[उद्धरण चाहिए]

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ

  1. "मैडम मेरी क्यूरी" (एचटीएमएल). साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन ऑफ़ इंडिया. Archived from the original on 15 जुलाई 2012. Retrieved ३ मार्च २००९. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= (help)
  2. "नोबेल पुरस्कार के तथ्य". Archived from the original on 2 फ़रवरी 2007. Retrieved 2 फ़रवरी 2011. {{cite web}}: Unknown parameter |अभिगमन तिथि= ignored (help)
  3. "विज्ञान को समर्पित मैडम क्यूरी". जागरण. Archived from the original on 24 अक्तूबर 2010. Retrieved ३ मार्च २००९. {{cite web}}: Check date values in: |access-date= and |archive-date= (help)

इन्हें भी देखें