मेरे भारत के कंठ हार

भारत देश का एक राज्य, बिहार का राजकीय गीत

मेरे भारत के कंठ-हार भारत राज्य बिहार का राज्य गीत है। गीत सत्य नारायण द्वारा लिखे गए थे और संगीत हरि प्रसाद चौरसिया और शिवकुमार शर्मा द्वारा रचित था। गीत को आधिकारिक तौर पर मार्च 2012 में अपनाया गया था। [1]

मेरे भारत के कंठ हार

बिहार का प्रतीक

राज्य गान
बिहार

बोल सत्य नारायण
संगीत हरि प्रसाद चौरसिया और शिवकुमार शर्मा
मान्यता २०१२

गीत संपादित करें

Hindi original Hindi romanisation

मेरे भारत के कंठहार,
तुझको शत-शत वंदन बिहार!
मेरे भारत के कंठहार,
तुझ को शत-शत वंदन बिहार!

तू वाल्मीकि की रामायण,
तू वैशाली का लोकतंत्र!
तू बोधी तत्व की करूणा है,
तू महावीर का शांतिमंत्र!

तू नालंदा का ज्ञानद्वीप,
तू ही अक्षत चंदन बिहार!
तू है अशोक की धर्म ध्वजा,
तू गुरू गोविंद की वाणी है!

तू आर्यभट्ट , तू शेर शाह,
तू कुंवर सिंह की बलिदानी है!
तू बापु की है कर्मभूमि,
धरती का नंदनवन बिहार!

तेरी गौरवगाथा अपूर्व,
तू विश्वशांति का अग्रदूत!
लौटेगा हमारा स्वाभिमान,
अब जाग चुके तेरे सपूत!

अब तू माथे का विजय तिलक,
तू आँखों का अंजन बिहार!
तुझको शत-शत वंदन बिहार,
मेरे भारत के कंठहार!

mere bhaarat ke kanthahaar,
tujhako shat shat vandan bihaar!
mere bhaarat ke kanthahaar,
tujh ko shat shat vandan bihaar!

tu valmiki ki raamaayan,
tu Vaishaalee ka lokatantr!
tu bodhee tatv ki karuna hai,
tu mahaaveer ka shaantimantr!

tu naalanda ka gyaanadveep,
tu hee akshat chandan bihaar!
tu hai ashok kee dharm dhvaja,
tu guroo govind kee vaanee hai!

tu aaryabhatt , tu sher shaah,
tu kunvar sinh kee balidaanee hai!
tu baapu kee hai karmabhoomi,
dharatee ka nandanavan bihaar!

teree gauravagaatha apoorv,
tu vishvashaanti ka agradoot!
lautega hamaara svaabhimaan,
ab jaag chuke tere sapoot!

ab tu maathe ka vijay tilak,
tu aankhon ka anjan bihaar!
tujhako shat-shat vandan bihaar,
mere bhaarat ke kanthahaar!

गाने के बोल संपादित करें

मेरे भारत के कंठहार ,

तुझको शत-शत वंदन बिहार

तू वाल्मीकि की रामायण

तू वैशाली का लोकतंत्र

तू बोधिसत्व की करूणा है

तू महावीर का शांतिमंत्र

तू नालंदा का ज्ञानदीप

तू हीं अक्षत चंदन बिहार

तू है अशोक की धर्मध्वजा

तू गुरूगोविंद की वाणी है

तू आर्यभट्ट तू शेरशाह

तू कुंवर सिंह बलिदानी है

तू बापू की है कर्मभूमि

धरती का नंदन वन बिहार

तेरी गौरव गाथा अपूर्व

तू विश्व शांति का अग्रदूत

लौटेगा खोया स्वाभिमान

अब जाग चुके तेरे सपूत

अब तू माथे का विजय तिलक

तू आँखों का अंजन बिहार

तुझको शत-शत वंदन बिहार

मेरे भारत के कंठहार ॥

संदर्भ संपादित करें

  1. Tribune India. 23 March 2012.

बाहरी लिंक संपादित करें