मेला राम वफ़ा
पं० मेला राम वफ़ा का जन्म सयुंक्त पंजाब के जिले सियालकोट से 22 किलोमीटर दूर गाँव दीपोके में 26 जनवरी 1895 को हुआ। इनके पिता का नाम पं. भगत राम था। वफ़ा साहिब की प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल किला सोबा सिंह में हुई। पसरूर के डिस्ट्रिक्ट बोर्ड हाई स्कूल से 10वीं पास की तथा इसी वर्ष उनकी शादी हो गई। [1]
वफ़ा साहिब ने अपना पहला शेर तब कहा जब वह 17 साल के थे तथा 8वीं कक्षा में पढ़ते थे। 1922 में वह पं. राम नारायण 'अरमान' दहलवी के शागिर्द हो गए जो दाग़ दहलवी के सीनियर शागिर्द थे। स्कूली जीवन में ही वफ़ा साहब हेडमास्टर की लिखी प्रार्थना में ग़लतियां निकाल देते थे तथा प्रार्थना सभा में ही जोर जोर से हँसने लगते, जिससे हेडमास्टर साहब बहुत नाराज़ होते लेकिन जब अच्छे शायरों ने वफ़ा साहिब को सही ठहराया तो हेडमास्टर साहब को अपनी ग़लती का एहसास हुआ।[2]
वफ़ा साहिब बड़े देश भक्त थे उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में भी हिस्सा लिया। वफ़ा साहिब को एक बाग़ी नज़्म 'ऐ फिरंगी' लिखने के लिए अंग्रेजी सरकार ने 2 साल क़ैद-ए-सख़्त की सज़ा सुनाई।
वफ़ा साहब ने बहुत से समाचार पत्रों का संपादन भी किया। वह एक बेहतरीन पत्रकार थे। सन् 1920 में लाला लाजपत राय ने उर्दू का दैनिक अख़बार "वंदे मातरम" की शुरुआत की जिसके एडिटोरियल टीम में वफ़ा साहिब को स्थान मिला। और 1922 में लाला लाजपत राय के जेल जाने के बाद वफ़ा साहिब को उन्होंने वंदे मातरम का संपादक नियुक्त किया गया। लेकिन 1923 में अख़बार की पालिसी को लेकर लाला जी से मतभेद हुआ और वफ़ा साहिब ने संपादक पद से इस्तीफा दे दिया। 1925 में मदन मोहन मालवीय ने दैनिक अख़बार "भीष्म" की शुरुआत की तथा वफ़ा साहिब इस में संपादक नियुक्त हुए। 1929 में भीष्म के बाद मालवीय जी के दूसरे अख़बार वीर भारत का संपादन भी वफ़ा साहिब ने ही किया।[3]
वफ़ा साहिब की दो पुस्तकें प्रकाशित हुई सोज़े-वतन(1941), संगे-मील (1959)। वफ़ा साहिब को पंजाब के भूतपूर्व मुख्यमंत्री सरदार प्रताप सिंह कैरों के द्वारा इन्हें "राज कवि" की उपाधि से नवाज़ा गया। [4]
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 अप्रैल 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 फ़रवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 अगस्त 2017.
- ↑ http://rni.nic.in/display_details.asp?regn=350[मृत कड़ियाँ]
- ↑ http://ngoswami.blogspot.in/2015/06/105.html?m=1[मृत कड़ियाँ]