मैक्सवेल कुण्डली
मैक्सवेल कुण्डली (Maxwell coil), लगभग एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करन्ने वाली एक युक्ति है। यह हेल्महोल्त्स कुण्डली का उन्नत रूप है जो हेल्मोत्स कुण्डली से भी अधिक एकसमान चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है, किन्तु इसमें उससे अधिक पदार्थ (जैसे ताँबा) लगता है।
मैक्सवेल कुण्डली में तीन कुण्डलियाँ होतीं हैं जो एक (काल्पनिक) गोले पर स्थित होतीं हैं। [1]
मैक्सवेल के सन १८७३ के मूल डिजाइन के अनुसार:[2]
दोनों बाहरी कुण्डलियों की त्रिज्या होनी चाहिए, तथा दोनों बीच की कुण्डली के तल से दूरी पर होनी चाहिए। मध्य वाली कुण्डली की त्रिज्या होगी। इसके साथ ही, दोनों छोटी कुण्डलियों में एम्पीयर-टर्न का मान मध्य कुण्डली में अम्पीयर टर्न के मान का गुना होना चाहिए।
इस प्रकार की व्यवस्था करने पर मध्य कुण्डली के केन्द्र पर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र का दूरी के साथ ६ठा अवकल तक सब शून्य होंगे।
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Garrett, Milan Wayne. "Thick Cylindrical Coil Systems for Strong Magnetic Fields with Field or Gradient Homogeneities of the 6th to 20th Order". Journal of Applied Physics. 38 (6): 2563–2586. डीओआइ:10.1063/1.1709950. बिबकोड:1967JAP....38.2563G.
- ↑ Clerk-Maxwell, James (1873). Treatise on Electricity and Magnetism. 2. Oxford: The Clarendon Press. पृ॰ 319. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-486-60636-8. मूल से 30 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 जनवरी 2019.
इन्हें भी देखें
संपादित करें- हेल्महोल्त्स कुण्डली
- हालबैच व्यूह (Halbach array)