मैग्नेट्रॉन अधिक शक्ति की सूक्ष्मतरंगें पैदा करने वाली एक निर्वात नलिका (वैक्युम ट्यूब) है। इसमें एलेक्ट्रॉनों की धारा (स्ट्रीम) पर चुम्बकीय क्षेत्र की सक्रिया से सूक्ष्मतरंगें उत्पन्न की जाती हैं। आजकल इनका उपयोग माइक्रोवेव ओवेन, एवं रडार के विभिन्न रूपों में प्रयुक्त होता है। इन किरणों की खोज 1888 ईस्वी में वैज्ञानिक हर्टज ने की थी

सूक्ष्मतरंग भट्ठी (माइक्रोवेव ओवेन) में लगने वाला मैग्नेट्रॉन ; इसमें हीटसिंक एवं असेम्ब्ली के अन्य साधन भी जुड़े हुए हैं।
मैग्नेट्रॉन का कटा हुआ चित्र ; इसमें चुम्बक को नहीं दिखाया गया है (निकाल दिया गया है)।
Magnetrons of ship's radars S-band (bigger) and X-Band (smaller)

आधुनिक समय में प्रयुक्त मैग्नेट्रॉन वास्तव में 'अनुनादी कोटर मैग्नेट्रॉन' (रेज़ोनेन्ट कैविटी मैग्नेट्रॉन) है। यह अपने पूर्ववर्ती मैग्नेट्रॉन ट्यूब का परिवर्तित रूप है जिसका विकास सन् १९४० में रन्डाल एवं बूट (Randall and Boot) ने किया था। इस आविष्कार के कारण सेंटीमीटर-बैण्ड रडार का निर्माण सम्भव हुआ (व्यावहारिक बन गया)।

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