मैसूर पुट्टस्वामैया जयराज
मैसूर पुट्टस्वामैया जयराज, जिन्हें एम॰ पी॰ जयराज (जीवनकाल: 1944/1946 से 1989) के नाम से भी जाना जाता है, एक भारतीय माफिया गैंगस्टर और राजनीतिज्ञ थें। वे 1970 और 1980 के दशक में बंगलौर के अंडरवर्ल्ड कार्यों में सक्रिय रहने के लिए जाने जाते हैं। जयराज का जन्म 1944 में बंगलौर में हुआ था। बचपन से ही कुस्ती का शौक होने के कारण वे थिगलरापेटे के अन्नयप्पा गराडी में कुश्ती का अभ्यास करते थें। आगे चलकर उनकी मुलाकात कर्नाटक के मुख्यमंत्री देवराज उर्स के दामाद एमडी नटराज से हुई, जिनका अनुसरण करते हुए वे बंगलौर के अंडरवर्ल्ड में शामिल हो गए। 21 नवंबर 1989 को सिद्दापुरा, कर्नाटक में उनकी हत्या कर दी गई। उस वक्त उनकी उम्र 45 साल थी।[1]
मैसूर पुट्टस्वामैया जयराज | |
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जन्म |
1944 थिगलरापेटे, कर्नाटक, भारत |
मौत |
21 नवंबर 1989 सिद्दापुरा, कर्नाटक, भारत |
पेशा | गैंगस्टर, राजनीतिज्ञ |
राजनैतिक पार्टी | कांग्रेस |
पारिवारिक जीवन
संपादित करेंजयराज के माता-पिता के बारे में कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नहीं है। उनके भाई का नाम एमपी उमेश और बहन का नाम हेमावती है। 12 मई 1988 को उन्होंने हेलेन नाम की लड़की से शादी की। उनका एक बेटा अजीत जयराज है, जो एक अभिनेता है। 1989 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके भाई उमेश ने उनकी पत्नी हेलेन से शादी कर ली।[2]
आपराधिक गतिविधियाँ
संपादित करेंजयराज को 1970 के दशक में एमडी नटराज के द्वारा अंडरवर्ल्ड में लाया गया था। उस वक्त कर्नाटक के मुख्यमंत्री देवराज उर्स कर्नाटक में पिछड़े वर्गों के उत्थान के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे थें। उन्होंने दलितों के उत्थान की दिशा में उनके काम को रोकने की कोशिश करने वाले विरोधियों से निपटने का हर संभव प्रयास किया। जयराज ने भी उनके विरोधियों को चुप कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 1979 में, जयराज मुख्यमंत्री के दामाद एमडी नटराज के मार्गदर्शन में अंडरवर्ल्ड में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थें लेकिन फिर न्यायालय परिसर में थिगैलारापेटे गोपी नामक व्यक्ति पर हमला करने के आरोप में उन्हें 10 साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई। जब वे जेल में थें उसी वक्त देवराज उर्स की मृत्यु हो गई। यहाँ से जयराज ने अंडरवर्ल्ड पर अपनी पकड़ खोनी शुरू कर दी। 1984 में, जब वे जेल से रिहा हुए तो उस समय तक बंगलौर में कोतवाल रामचंद्र और ओईल कुमार जैसे डॉन ने स्वयं को प्रतिष्ठित कर लिया था। जेल से बाहर आने के बाद, उन्होंने अंडरवर्ल्ड में फिर से जगह बनाने के लिए अपना संघर्ष शुरू किया और 1986 में अपने साथी अग्नि श्रीधर, वरदराज नायक और बच्चन के साथ मिलकर कोतवाल रामचंद्र की हत्या कर दी। इस हत्याकांड के बाद जयराज को अग्नि श्रीधर और बच्चन के साथ 1986 में दोबारा जेल भेज दिया गया। जयराज के इस हत्याकांड को 2007 में आई फिल्म आ दीनागलु में दर्शाया गया है।[3]
जेल से बाहर आकर जयराज ने व्यवसाय करना शुरू किया और गरीबी हटाओ नामक अखबार निकाला। इस अखबार में जनता दल के राजनेताओं और पुलिस को निशाना बनाया जाता था। जब वे जेल में थें, उस वक्त और जेल से छुटने के बाद कई बार उन पर जानलेवा हमला किया गया पर वे उनसे बचने में कामयाब रहें। 1980 के दशक में सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को बचाने के लिए अपराधी समूहों का एक गैंग बनाया गया था, जिसका नाम इंदिरा ब्रिगेड रखा गया। जयराज इस समूह के नेता बने थें।[4]
मृत्यु
संपादित करें21 नवंबर 1989 को जयराज जब सिद्दपुरा पुलिस स्टेशन से लौट रहे थें उसी वक्त गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। उस समय वे अपने भाई एमपी उमेश, अपने वकील वर्धमानैया और अन्य सहयोगियों के साथ थें। उनकी हत्या करने वालों में मुथप्पा राय, सुभाष सिंह ठाकुर और 10 अन्य लोगों शामिल थें। इस हत्याकांड से उनके भाई एमपी उमेश भागने में सफल रहें।[5]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Agni Sreedhar. Chapter 1
- ↑ "M. P. Jayaraj Age, Death, Wife, Children, Family, Biography & More » StarsUnfolded". starsunfolded.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 26 जून 2023.
- ↑ "Gangs of Bengaluru: The bloody history of gang wars in licence raj era". Hindustan Times (अंग्रेज़ी में). 2021-07-07. अभिगमन तिथि 2021-08-30.
- ↑ "IPS officer, six others acquitted in murder case". The Hindu. 2 Jul 2002. मूल से 25 December 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 August 2015.
- ↑ "Gangs of Bengaluru: The bloody history of gang wars in licence raj era". Hindustan Times (अंग्रेज़ी में). 7 जुलाई 2021. अभिगमन तिथि 26 जून 2023.