मोग्गलिपुत्त तिस्स

भारतीय बौद्ध भिक्षु और सम्राट अशोक से जुड़े विद्वान

मोग्गलिपुत्त तिस्स (ईसा पूर्व 327 – ईसापूर्व247 ) एक बौद्ध भिक्षु एवं विद्वान थे। उन्होने कथावत्थु (संस्कृत: कथावस्तु) नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की। मोगलीपुत्ततिसा को थेरवाद बौद्ध परम्परा द्वारा "विभज्जवाद" के संस्थापक के रूप में देखा जाता है, जिसकी परम्परा थेरवाद एक हिस्सा होने के साथ-साथ कथावत्थु के लेखक भी हैं। उन्हें भ्रष्टाचार के खिलाफ सच्ची शिक्षा देने वाले या धम्म के रक्षक के रूप में देखा जाता है। ऐसे समय में जब कई तरह के गलत विचार पैदा हुए थे और अशोक युग के बौद्ध मिशनरी प्रयासों के पीछे बल के रूप में देखा गया था।

तृतीय बौद्ध संगीति में अशोक और मोग्गलिपुत्त

श्रीलंका के बौद्ध दार्शनिक डेविड कालूपहाना उन्हें नागार्जुन के पूर्ववर्ती के रूप में मध्यमार्ग के प्रवर्तक और बुद्ध के मूल दार्शनिक आदर्शों के पुनरुत्थानकर्ता के रूप में देखते हैं।

तीसरी बौद्ध संगीति के अवसर पर बौद्ध धर्म पर कई आरोप लगाए जा रहे थे जिसका उत्तर मोग्गलिपुत्तिस्स ने यह कहकर दिया था कि ‘बुद्ध ने ऐसा ही कहा था’ इसलिए इसे कथावत्थु कहा जाता है। सैद्धान्तिक रूप में ये बुद्ध वचन माने जाते हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप में ये मोग्गलिपुत्तिस्स के ही वचन हैं, इसे अभिधम्मपिटक में बुद्ध वचन कहकर शामिल किया गया हैं। कथावत्थु में बौद्ध धर्म से सम्वन्धित सभी सिद्धांत सविस्तार हैं तथा सर्वाधिक महत्ता अभिधम्मपिटक में इसी की है। अभिधम्मपिटक बौद्ध साहित्य के आधार त्रिपिटक में से एक है।