मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में स्थित भारत का प्रमुख राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान है। इसका पूर्व नाम 'मोतीलाल नेहरू क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कालेज' था। इसकी स्थापना १९६१ में की गई थी और २६ जून २००२ को इसे राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान का दर्जा दिया गया।

संस्थान का शैक्षणिक ब्लॉक
संस्थान का मुख्य भवन

इस संस्थान में आठ विभाग हैं। यह संस्थान सिविल इंजीनियरी, विद्युत इंजीनियरी, अभियांत्रिकी इंजीनियरी, कम्प्यूटर विज्ञान इंजीनियरी, इलैक्ट्रानिकी इंजीनियरी, उत्पादन और औद्योगिक इंजीनियरी, रसायन इंजीनियरी, जैव प्रौद्योगिकी इंजीनियरी तथा सूचना प्रौद्योगिकी जैसे विषेयों में चार वर्षीय अवर स्नातक पाठयक्रम चलाता है। यह संस्थान १३ एम.टेक कार्यक्रमों तथा मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन (एमसीए) एवं मास्टर ऑफ मैनेजमेंट स्टजीज (एमएमएस) का भी संचालन करता है।

वर्तमान में संस्थान ९ प्रौद्योगिकी स्नातक, १९ प्रौद्योगिकी निष्णात (अंशकालिक सहित), कंप्यूटर अनुप्रयोग में स्नातकोत्तर (एम्. सी. ए. ), प्रबंधन में स्नातकोत्तर (एम्. बी. ए.), विज्ञान के क्षेत्र में निष्णात (एम्. एस. सी.)( गणित और वैज्ञानिक संगणन ), और समाज कार्य निष्णात (एम्. एस. डब्लू.) में शिक्षा प्रदान करता है तथा उम्मीदवारों को पी.एच.डी डिग्री पाठ्यक्रम के लिए पंजीकृत भी करता है। संस्थान एम. टेक (प्रौद्योगिकी निष्णात) और पीएच.डी. पाठ्यक्रमो के लिए गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम के केन्द्र के रूप में भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है।

इतिहास संपादित करें

मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त उद्यम के रूप में वर्ष १९६१ में स्थापित किया गया था, और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज था, जो भारत का तीसरा सबसे पुराना विश्वविद्यालय है। उसी समय भारत में १७ क्षेत्रीय इंजीनियरिंग कालेजों की स्थापना हुई थी।

दो वर्ष (२०००-२००२) की अल्प अवधि के लिए, संस्थान उत्तर प्रदेश प्राविधिक विश्वविद्यालय से संबद्ध रहा।जून २६, २००२ में एम् एन आर ई सी, भारत सरकार द्वारा पुर्णतः वित्तपोषित राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान और डीम्ड विश्वविद्यालय के रूप में परिणत हो गया। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम - २००७ (२९ से २००७) के तहत, संस्थान को राष्ट्रीय महत्व की संस्था का दर्जा प्रदान किया गया है।

संस्थान जनपदीय अभियांत्रिकी, विद्युत अभियांत्रिकी और यांत्रिक अभियांत्रिकी में स्नातकीय उपाधि के साथ प्रारंभ हुआ था। सन १९७६-७७ में संगणक विज्ञान एवं अभियांत्रिकी में स्नातक पाठ्यक्रम शुरू करने वाला देश का यह प्रथम संस्थान था। इसके बाद, वर्ष १९८२-८३ में इलेक्ट्रॉनिक्स अभियांत्रिकी और उत्पादन एवं औद्योगिक अभियांत्रिकी में स्नातक कार्यक्रम शुरू किए गए। प्रथम स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संस्थान के यांत्रिक अभियांत्रिकी विभाग द्वारा वर्ष १९६६ में शुरू किया गया।अन्य सभी अभियांत्रिकी विभागों में, स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम वर्ष १९७०-७१ में शुरू हो गये। एक नया आयाम जोड़ते हुए, संस्थान ने वर्ष १९९६ में प्रबंधन स्कूल की स्थापना की जो प्रबंधन (एम. बी. ए.) में दो वर्ष /चार सेमेस्टर, स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करता है।

वर्ष १९७२ में संस्थान ने एक स्वरोजगार परियोजना शुरू की। इसके अंतर्गत उद्यमियों को प्रोत्साहित करने और अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से ६८ शेड के साथ एक औद्योगिक एस्टेट स्थापित किया गया। संस्थान डिजाईन विषय में भारत-ब्रिटेन आर.ई.सी. परियोजना (१९९४ -१९९९), के तहत एक प्रमुख संस्था के रूप में चुना गया। इस योजना के तहत एक डिजाइन सेंटर स्थापित किया गया। संस्थान विश्व बैंक वित्तपोषित भारत सरकार परियोजना के तहत, तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम ( टी.इ.क्यू.आई.पी. ) (२००२ -२००७) के अंतर्गत प्रमुख संस्थान के रूप में चुना गया। इस परियोजना के तहत दो राज्य स्तरीय संस्थान एम. एन. एन. आइ. टी.के साथ कार्य कर रहे हैं।

अधोसंरचना संपादित करें

 
परिकल्प भवन (डिजाइन केन्द्र)

छात्रावास, पुस्तकालय, स्वास्थ्य केन्द्र, कम्प्यूटर केन्द्र, बैंक, डाकघर आदि की पर्याप्त सुविधाएँ हैं।

शैक्षणिक संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें


बाहरी कड़ियाँ संपादित करें