मोती बी०ए० (1 अगस्त 1919 - 18 जनवरी 2009 ) भोजपुरी और हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। भोजपुरी भाषा और साहित्य के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए मोती बी०ए० को वर्ष 2001 के 'साहित्य अकादेमी भाषा सम्मान' से पुरस्कृत किया गया। आपका पूरा नाम मोतीलाल उपाध्याय था। 1938 के दौर में बी०ए० करने के कारण आपने अपने नाम के आगे 'बी०ए०' जोड़ लिया।

मोती बीए
जन्म1 अगस्त 1919
बरेजी, बरहज, देवरिया
उत्तर प्रदेश
मौत18 जनवरी 2009
पेशाअध्यापन एवं लेखन
भाषाभोजपुरी, हिन्दी
राष्ट्रीयताभारतीय

प्रारंभिक जीवन

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आपका जन्म उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में बरहज कस्बे के निकट बरेजी गांव में हुआ था। आपके पिता का नाम राधाकृष्ण उपाध्याय और माता का नाम कौशल्या (कौलेसरा) देवी था। बरहज के 'किंग जार्ज स्कूल' (अब हर्षचन्द इ० का०) से 1934 में हाईस्कूल और गोरखपुर के 'नाथ चन्द्रावत कालेज' से 1936 में इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की। कालेज के अंग्रेजी प्रवक्ता मदन मोहन वर्मा महादेवी जी के अनुज थे। उनकी प्रेरणा से महादेवी वर्मा की काव्य रचनाओं को देखकर मोतीजी की काव्य प्रतिभा का प्रस्फुटन हुआ। 'लतिका', 'बादलिका', 'समिधा', 'प्रतिबिम्बिनी' और 'अथेति' उनकी प्रमुख हिंदी काव्यकृतियाँ हैं।

उच्च शिक्षा

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय से 1938 में बी०ए० करने के बाद ही कवि सम्मेलनों में छा गये और 'मोती बी०ए०' नाम से इतने प्रसिद्ध हुए कि बाद में एम०ए०, बी०टी० और साहित्यरत्न की उपाधि अर्जित करने के बावजूद 'बी०ए०' शब्द नाम का अभिन्न हिस्सा बन गया।

पत्रकारिता

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आजीविका के लिए पत्रकारिता से जुड़े। प्रसिद्ध क्रान्तिकारी शचीन्द्रनाथ सान्याल के दैनिक पत्र 'अग्रगामी', शिवप्रसाद गुप्त के 'आज' तथा बलदेव प्रसाद गुप्त के 'संसार' के संपादकीय विभाग से सम्बद्ध रहे।

स्वतंत्रता सेनानी

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स्वतंत्रता आन्दोलन में भी आपकी भूमिका रही और 1942 के आंदोलन में गोरखपुर तथा बनारस की जेलों में नजरबंद रहे।

बॉलीवुड का पहला भोजपुरी गीत

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पत्रकारिता में आपका मन नहीं रमा और बी०टी० करते समय पं० सीताराम चतुर्वेदी की सहायता से 'पंचोली आर्ट्स पिक्चर्स' लाहौर में फिल्मी गीत लिखने का अवसर मिला। लाहौर और फिर बम्बई में रहकर कई हिंदी और भोजपुरी फिल्मों में गीत लिखे। अशोक कुमार, किशोर साहू आदि के साथ कार्य किया। गीत लेखन के साथ ही कुशल अभिनय की भी छाप छोड़ी। हिंदी फिल्मों को भोजपुरी गीतों से परिचित कराने का श्रेय मोती बी०ए० को ही जाता है। 1948 में रिलीज दिलीप कुमार और कामिनी कौशल अभिनीत 'नदिया के पार' फिल्म के लिए आप द्वारा लिखा गया 'कठवा के नइया बनइहे रे मलहवा' बालीवुड का पहला भोजपुरी गीत है। इस फिल्म का 'मोरे राजा हो, ले चल नदिया के पार' गीत सुपरहिट हुआ था।

घर-परिवार से जुड़ी भावनायें गँवई व्यक्ति को पूरी तरह से व्यावसायिक नहीं बनने देतीं। मोतीजी को भी फिल्मी तड़क-भड़क और चाल-चलन रास नहीं आया और अन्ततः 1950 में आप बंबई से देवरिया लौट आये। 1952 से श्रीकृष्ण इंटर कालेज, बरहज, देवरिया में अध्यापन किया। इतिहास, अंग्रेजी और तर्कशास्त्र के प्रवक्ता रहे। वर्ष 1978 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 'आदर्श अध्यापक पुरस्कार' से सम्मानित किये गये। 1980 में सेवानिवृत्त हुये।

जीवन का उत्तरार्ध

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वर्ष 1984-85 में फिल्म निर्माताओं के विशेष अनुरोध पर कुछ भोजपुरी फिल्मों- गजब भइले रामा, ठकुराइन और चम्पा चमेली- के लिए गीत लिखे। 'ठकुराइन' फिल्म में अभिनेत्री पद्मा खन्ना के पिता की भूमिका भी निभाई। 'मोरी अरज सुनीं महराज हो, साँवरे गिरधारी' इसी फिल्म का मशहूर भजन है। 'गजब भइले रामा' फिल्म का 'अँगनइया बीच तुलसी लगइबो हरी' भजन हेमलता की कर्णप्रिय आवाज और रवीन्द्र जैन के सुमधुर संगीत से सजकर बहुत लोकप्रिय हुआ।

असो आइल महुआबारी में बहार सजनी

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मूलतः भोजपुरी परिवेश से सम्बद्ध होने के कारण मोतीजी को वह यथेष्ट सम्मान और प्रसिद्धि नहीं मिली, जिसके वह हकदार थे। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी, डॉ० कृष्णदेव उपाध्याय और डॉ० रामचन्द्र तिवारी ने इस बात को स्वीकार किया है कि हिन्दी संसार ने मोती बी०ए० के कविकर्म का उचित मूल्यांकन नहीं किया। फिर भी मोती बी०ए० भोजपुरी कविता और भोजपुरिया समाज में बहुत समादृत हैं। 'सेमर के फूल' और 'तुलसी रसायन' आपके लोकप्रिय भोजपुरी काव्य संग्रह हैं। कालिदास कृत 'मेघदूत' का भोजपुरी काव्यानुवाद भी आपने किया। 'असो आइल महुआबारी में बहार सजनी', 'कटिया के आइल सुतार', 'तिसिया के रंग सरसइया के सारी', 'कहवाँ से आइल अन्हरिया सुरुज दियना बारेले हो', 'सनन सनन सन बहेले पुरवइया' आपके कालजयी भोजपुरी गीत हैं।

अंग्रेजी कविताओं के काव्यानुवाद

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भोजपुरी और हिन्दी के साथ-साथ उर्दू और अंग्रेजी में भी बहुत अच्छी कविताएँ लिखी हैं। रॉजटी (Rossetti) के 'दि ब्लेस्ड डेमजल' का 'प्यार की रूपसी' और कॉलरिज (Coleridge) के 'दि राइम ऑफ दि एनशंट मेरिनर' का 'माझी की पुकार' शीर्षक से काव्यानुवाद किया। आपके अंग्रेजी में 3 और उर्दू में 5 काव्य संग्रह प्रकाशित हैं। अपने गीतों के लिए मोती बी०ए० सदा याद किये जायेंगे। मोती बी०ए० ने शेक्सपीयर के 109 सानेट्स का हिन्दी पद्यानुवाद किया है।

फिल्मी गीत

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1.कैसे कहूँ

2.सुभद्रा

3.सिन्दूर

4.भक्त ध्रुव

5.साजन

6.नदिया के पार

7.सुरेखा हरण

8.किसी की याद

9.काफ़िला

10.अमर आशा

11.इन्द्रासन

12.राम विवाह

13.गजब भइले रामा

14.चम्पा चमेली

15.ठकुराइन

साहित्यिक रचनाएँ

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1.सेमर के फूल (भोजपुरी)

2.भोजपुरी सानेट

3.तुलसी रसायन (भोजपुरी)

4.भोजपुरी मुक्तक

5.मोती के मुक्तक

6.रश्के गुहर (उर्दू शायरी)

7.दर्दे गुहर (उर्दू शायरी)

8.तिनका-तिनका शबनम-शबनम (उर्दू शायरी)

9.इतिहास का दर्द (निबंध संग्रह)

10.मेघदूत (भोजपुरी काव्यानुवाद)

11.Love and Beauty

12.Beauty in Veil

13.लतिका

14.बादलिका

15.समिधा

16.प्रतिबिम्बिनी

17.अथेति

18.माझी की पुकार (काव्यानुवाद)

[The Rime of the Ancient Mariner: Coleridge]

19.प्यार की रूपसी (काव्यानुवाद)

[The Blessed Damozel: Dante Gabriel Rossetti]

ग्रन्थावली

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मोती बी०ए० ग्रन्थावली (9 खण्डों में)

[संपादक- प्रो० रामदेव शुक्ल, प्रकाशक- नमन प्रकाशन, नयी दिल्ली]

ज्यादा जानकारी के लिए संपर्क करें - 82990 15136 , 9935996092 , 9450883675 , 9889935504 .