मोहन लाल ज़ुत्शी
मोहन लाल ज़ुत्शी (Mohan Lal Zutshi), जिन्हें मोहन लाल कश्मीरी भी कहते थे, 19वीं शताब्दी में एक यात्री, राजनयिक और लेखक थे। उन्होंने 1838–1842 के प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्ध में एक अहम भूमिका निभाई थी। उनके द्वारा लिखी काबुल के अमीर दोस्त मुहम्मद ख़ान की जीवनी उस युद्ध का प्राथमिक वर्णन स्रोत है। इसके अलावा उन्होंने भारत से लेकर कैस्पियन सागर तक के कई क्षेत्रों का भ्रमण करा और जानकारी एकत्रित कर के ब्रिटिश राज की सरकार को उपलब्ध करी। इन क्षेत्रों में अफ़्ग़ानिस्तान, बल्ख़, बुख़ारा और ख़ोरासान शामिल थे। प्रसिद्ध ब्रिटिश यात्री व जासूस अलेक्ज़ेंडर बर्न्स का मार्गदर्शन उन्होंने ही करा था।[1][2][3][4]
मोहन लाल ज़ुत्शी | |
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जन्म |
1812 |
मौत |
1877 |
पेशा | यात्री, जासूस, राजनयिक, लेखक |
पत्नी
संपादित करेंमोहन लाल की पत्नि, हैदरी बेगम, एक मुस्लिम महिला और विद्वान थीं। उन्होंने १८५७ के प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में दिल्ली में हो रही घटनाओं का एक दैनिक ब्योरा लिखा था, जिसे बाद में ब्रिटिश राज की सरकार ने छीन लिया था।[5]
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Gupta, Hari Ram. Life and Work of Mohan Lal Kashmiri. (Lahore: Minerva Book Shop, 1943).
- ↑ Lal, Mohan. Journal of a tour through the Punjab, Afghanistan, Turkistan, Khorasan and part of Persia in company with Lt Burnes, and Dr Gerard (Calcutta, 1834)
- ↑ Lal, Mohan. Travels in the Punjab and Afghanistan and Turistan to Balkh, Bikhara and Herat and a Visit to Great Britain, Germany (1846) (Reprinted Lahore: Al Biruni, 1979)
- ↑ Lal, Mohan. Life of the Amir Dost Mohammed Khan, of Kabul: with his political proceedings towards the English, Russian, and Persian governments, including victory and disasters of the British Army in Afghanistan. (London: Longman, Brown, Green and Longmans, 1846)
- ↑ Victoria Schofield, 2003, Afghan Frontier: Feuding and Fighting in Central Asia, Tauris Parke Paperbacks, ISBN 1-86064-895-9, ISBN 978-1-86064-895-3.