मोहर (चिन्ह)

युक्ति अथ्वा प्रतीक

मोहर (seal) किसी मोम, काग़ज़ या अन्य वस्तु पर चिह्न लगाने के लिए बनी एक वस्तु को कहते हैं। ऐसी वस्तु से लगाए गए चिह्न को भी मोहर कहा जाता है। इसका मक्सद किसी दस्तावेज़, लिफ़ाफ़े, ताले या अन्य प्रकार की वस्तु को प्रमाणित करना होता है। जब किसी ताले, लिफ़ाफ़े या अन्य बन्द करने वाली चीज़ पर मोहर लगाई जाती है तो उसके अंदर बन्द चीज़ों को प्रमाणित करा जा रहा होता है और मोहर ऐसे ढंग से लगाई जाती है कि उसे खोलते ही मोहर टूट जाए। उच्चाधिकारियों के लिए कभी-कभी ऐसी मोहरों को अंगूठियाँ में बना दिया जाता था ताकि वे समय-समय पर आसानी से जहाँ चाहे अपने अधिकारानुसार दस्तावेज़ों व अन्य चीज़ों को प्रमाणित कर सकें।[1][2]

सिन्धु घाटी सभ्यता की तीन अलग मोहरें जिनसे मिट्टी की तख़्तियों पर चिन्ह लगाए जा सकते थे

इन्हें भी देखें

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  1. Collon (ed.), Dominique (1997). 7000 Years of Seals. London: British Museum Press. ISBN 0-7141-1143-0.
  2. Schofield, Phillipp R., ed. (2015). Seals and their Context in the Middle Ages. Oxford: Oxbow. ISBN 978-1-78297-817-6.